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Shailesh Lodha Shayari

20+ Shailesh Lodha Shayari,poetry in hindi | शैलेश लोढ़ा शायरी।

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Shailesh Lodha poetry in hindi

जेब में जब लाखो हो न तो
लाखो देने वाले लाखो मिलते हैं
ऐसी मिसाल यंहा हजार खड़ी होती है ,
अगर जेब में कुछ नहीं हो तो
सौ रूपये मिलना भी बहुत बड़ी बात होती है।

सहजता थी सादगी थी बंदगी थी
ये वाट्सअप और फेसबुक नहीं थी
तब ज़िंदगी थी ,

कभी सलमान के बालो कभी
कटरीना के गालो पर मर गए
कभी चुम्बन कभी चेहरे कभी
चालो पर मर गए ,ऊपर बैठकर
भगत सिंह कहते होंगे यार सुखदेव
राजगुरु हम भी किन इंसानो के लिए मर गए।

कल जब काम पर जा रहा था
तो अचानक लगा कोई रोक लेगा मुझे
और कहेगा खड़े खड़े दूध मत पी
हज़म नहीं होगा ,थोड़ी सांस लेले
अरे इतनी ठण्ड और कोट भूल
गया इसे भी पास लेले
मन में सोचा माँ रसोई से बोली होगी
जिसके हाथो में सना आटा होगा
पलट के देखा तो क्या मालुम
वंहा सिर्फ सन्नाटा होगा

शैलेश लोढ़ा शायरी

कभी बसों में धकके खिलाती है
कभी ट्रेनों में लाइन में लगाती है
कभी बच्चो के पढाई के चिंता सताती है
कभी तनखा न बढ़ने पर चढाती है ,
कभी माँ की बिमारी रुलाती है ,
कभी पिता की मज़बूरी रुलाती है ,
कभी दूर कड़ी कसमसाती है
कभी चेहरों पर हंसी छोड़ जती है ,
हम धुनों पर नहीं नाच सकते साहब
लेकिन हम मिडिल क्लास लोगो की
ज़िंदगी हमे रोज नचाती है।

सुकून जिसे कहते हैं अक्सर नहीं मिला
नींद नहीं मिली कभी बिस्तर नहीं मिला
सारे चमक चेहरे पे पसीने की है ज़नाब
विरसे में हमे कभी कोई जेवर नहीं मिला

सच है इरादे हमारे विध्वंसक नहीं है
अकारण युद्ध के हम भी पसंसक नहीं है ,
अहिंसा के पुजारी हम है लेकिन

सुनले दुनिया अहिंसक हैं हम नपुंसक नहीं।

लोकल ट्रेन की भीड़ में गिरा तो
उसने हाथ पकड़ के उठाया
रासन लाइन के भीड़ में
धुन आया तो उसने न्धा थपथपाया
नौकरी के लिए भटकते कदमो का साथ दिया
हर जगह उसने मुझे दलाशा दिया
हर वक्त साथ मुझे दबी सहमी सी मौन है
अपनी जिदगी से पूछा वो मेरी कोन है।

top 20 Shailesh Lodha Shayari

जिस दिन तू सहीद हुआ न जाने
उस दिन तेरी माँ कैसे सोइ होगी
मैं तो बस इतना जानता हु की
वो गोली तुम्हारी सिने में उतरने
से पहले रोई होगी ,

जिस माँ ने हमे लिखा
उस माँ पर क्या लिखे हम
दिल आँखे बंद करके भी
वो चेहरा देख सकता है।
वो तामासायी नहीं है
लेकिन तमाशा देख सकता है
हम खिड़किया दरवाजे बंद करले
तो भी क्या होगा जो सूरज
है उसे ज़माना देख सकता है ,

हम एक शब्द हैं तू वे पूरी भाषा है
हम कुंठित हैं तो वह एक अभिलाषा है
बस यही नारी की परिभाषा है ,
हम समुद्र का है तेज वेभ
तो हम झरनो का है निर्मल स्वर
हम एक शूल हैं तो वह एक सहस्त्र ढल प्रखर ,
हम दुनिया के है अंग वह उसकी उनुक्रमिका है ,
हम पत्थर के हैं संग वह कंचन की कनिका है
हम बकवास हैं तो वह भासन है
हम सरकार हैं वो शासन है
हम लभक़ुश हैं वो सीता है
हम छंद हैं वो कबिता है ,

 ज़ाहिद बशीर के शायरी।

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