Desh Bhakti Poem in Hindi-इस पोस्ट में 15 अगस्त 26 जनवरी पर बेहतरीन कविता शेयर किया गया है -स्वतंत्रता दिवस पर कविता-Desh Bhakti Kavita 2022 Poem-15 august par kavita-गणतंत्र दिवस पर कविता -poem on independence day -Swatantrata Diwas Par Kavita
गणतंत्र दिवस पर कविता ( Desh Bhakti Poem in Hindi)
मैं दुसमन से नहीं डरता
मैं भारत का जवान हु
मरुअस्थल की रेत हु मैं
सियाचिन का आसमान हु
मैं दुसमन से नहीं डरता
मैं भारत का जवान हु
मैं जून में जलती रेत पर लेट
कर कहता हु सर्दी आज कम है
दिसम्बर के ठण्ड पि कर कहता हु
गर्मी का मौसम है।
मैं वर्फ में नौ दिन दफन रहकर
ज़िंदा निकलता हु।
सीने में भरती साँस को टुकड़ो में भरता हु
मैं हिन्द महासागर के लहरों में
कपडे बदलता हु
माइनस 30 डिग्री में राइफल टांग
के टहलने निकलता हु
मैं दुसमन से नहीं डरता
मैं भारत का जवान हु
तिरंगा पर कविता
भारत देश हमारा है
यह हमको जान से प्यारा है
दुनिया में सबसे न्यारा है
सबकी आँखों का तारा है
मोती है इसके कण कण में ,
बून्द-बून्द में सागर है।
प्रहरी बना हिमालय बैठा
धरा सोने की गागर है
भूमि ये अमर जवानो की
है बीरो के वलिदानो की
रत्नो के भंडार भरे
गाथा स्वर्णिम खानो की
सत्य अहिंसा शांति बांटता
इसकी शान तिरंगा है।
गोद खेलती नटखट नदियां
पावन यमुना गंगा है।
चन्दन की मानती से महके
मातृ भूमि को वंदन है।
कोटि कोटि भारत वालो की
सूंदर सा ये बंदन है।
भारत देश पर कविता
भारत मेरा सबसे प्यारा
सब देशो में सबसे न्यारा
आओ मिलकर गाये गान
मेरा भारत देश महान।
धरती हरी भरी है न्यारी
महकी फूलो की जो क्यारी
ऊँचे पर्वत खड़े महान
अद्भुद इसकी ऐसे शान
झरने झरझर इसमें बहते
गीत बीरता के वे कहते
भरे भरे इसके खलिहान
बीरो की भारत है खान।
भारत की है बात निराली
गाथा इसकी हिम्मत वाली
भारत का जन जन है न्यारा
भारत जग में सबसे प्यारा।
Poem on Desh Bhakti in Hindi
तीन रंगो से बना तिरंगा
सदा सकती बरसाता है।
देखो भारत की चोटी पर
शान से लहराता है।
केसरया रंग को देखो
जो त्याग हमे सिखलाता है
जब भी कोई संकट आये
मर – मिटना हमे बताता है।
सादा जीवन उच्च विचार
सफेद रंग बतलाता है
सत्य अहिंसा भाई चारे का पाठ
हमे सिखलाता है ,
हरे रंग की अपनी कहानी।
मन को हर्षित कर जाती है
ह्री भरी प्रकृति को देखो
सबके मन को भाती है
बिच में देखो अशोक चक्र को
जो हरदम चलते रहता है।
रुको नहीं तुम आगे बढो
हरपल हमसे कहता है।
शहीद पर कविता
लड़े थे जो जी जान से
शहीद हुए जो शान से
उन अमर वीर जवानो को
भारत माँ की सन्तानो को
अपने दिल में जगह देना
उनको न भुला देना
याद करते हैं लोग उन्हें
वर्ष के चुनिंदा दिनों पर ही
गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर ही
लेकिन दिए थे प्राण जिन्होंने
देश के दुश्मनो से लड़कर
मातृ भूमि की रक्षा के लिए
भारत वासियो की सुरक्षा के लिए
छोडकर घर परिवार अपना
लड़े जो जी जान से
उनको दिल में जगह देना।
Desh Bhakti Kavita 2022 Poem
भारत तुझसे मेरा नाम है
भारत तू ही मेरा धाम है
भारत मेरी शोभा सांन है
भारत मेरी तीर्थ स्थान हैं
भारत तू नेरा साम्मान है
भारत तू मेरा अभिमान है
भारत तू धर्मो का ताज है
भारत तू सबका समाज है
भारत तुझसे गीता सार है
भारत तू अमृत की धार है
भारत तू गुरुओ का देश है
भारत तुझमे सुख सन्देश है
भारत जब तक ये जीवन है
भारत तुझको ही अर्पण है
भारत तू मेरा आधार है
भारत मुझको तुझसे प्यार है।
15 august par kavita
सुनो तिरंगा मेरा नाम
हेलो नमस्ते और प्रणाम
सुनो तिरंगा मेरा नाम
तीन रंग की झंडा हु मैं
भारत देश की हु मैं सांन
आज यंहा आया हु करने
तुम सब बच्चो से पहचान
तुम सब मुझको अच्छे लगते
अब तक नहीं हुयी पहचान
मैं तो अक्सर देखु तुमको देखु
क्या तुमको भी मेरा ध्यान
मिले नहीं तुम अब तक मुझसे
न बतलाया अपना नाम
खुश होते हो जब तुम बच्चे
top 35 देश भक्ति Poem in Hindi
न जाने कितने विरो ने
अपनी जान गवाई थी
तब जाकर मेरे भारत ने
सही स्वतंत्रता पायी थी
ये धरती भी हमारी थी
आकाश हमारा था
पर ब्रिटिश के शासन में
कुछ भी न हमारा था
मंगल भगत आज़ाद
सबने लड़ी लड़ाई थी
तब जाकर मेरे भारत ने
सही स्वतंत्रता पायी थी
एक समय था जब ये भारत
सोने की चिड़ियाँ कहलाता था
यही देख विदेशी इसे
हथियाना चाहता था।
अंग्रेजो के छकके छुड़ाकर
लक्ष्मी बायीं ने जान गवाई थी
तब जाकर मेरे भारत ने
सही स्वतंत्रता पायी थी।
अंग्रेज यंहा गर आये थे
उसमे भी कहि कमी तो हमारी थी
कुछ अपनो के मन में ही
बस गयी बड़ी गद्दारी थी
उस गद्दारी की बड़ी कीमत
हमारे वीरो ने चुकाई थी
अपनी जान गवाकर भारत को
आज़ादी दिलाई थी
प्रतिवर्ष 15 अगस्त को
हम सब झंडा फहराते हैं
आओ याद करो उन वीरो को
ये गीत सदा ही गाते हैं
न जाने कितनी माओ ने
अपने लाल को तिरंगा पहनाया था
तब जाकर मेरे भारत ने
यही स्वतंत्रता पायी थी
यु ही नहीं मिली आज़ादी
है दाम चुकाई वीरो ने
कुछ हंसकर चढ़े हैं फांसी पर
कुछ ने जख्म सही समसीरो पे
यु ही नहीं मिली आज़ादी है दाम चुकाए वीरो ने
जो शुरू हुयी संन सान्तवन में
संन पैंतालिश तक शुरू रही
मारे गए अंग्रेज कई
वीरो के रक्त के नदी वही
मजबूत किया संकल्प था उनका
भारत माता के वीरो ने
यु ही नहीं मिली आज़ादी
है दाम चुकाई वीरो ने
2022 letest देश भक्ति Poem in Hindi
तीन रंग का मेरा झंडा
लहर लहर लहराये।
तीन रंग का मेरा झंडा
फहर फहर फहराए
सबसे ऊपर रंग केसरिया
बहादुरी को है दर्शाये
बिच में इसके रंग सफ़ेद
सच और शांति को दर्शाये
सबसे नीचे रंग हरा
देश विकाश को दर्शाये
मेरे देश का प्यारा झंडा
मेरे मन को बड़ा ही भाये
हमे देख मुस्काये तिरंगा
हम भी खुश हो जाए
मिलजुल कर हम सब रहे
यह सन्देश सुनाएँ
तीन रंग का मेरा झंडा
लहर लहर लहराये।
दे सलामी इस तिरंगे को
जिसमे तेरी सांन है
सर हमेसा अच्छा रखना इसका
तब तक दिल में जान है।
तैरना है तो समंदर में तैरो
नालो में क्या रखा है
प्यार करना है तो देश से करो
औरो में क्या रखा है।
ज़ज़्बे आज़ादी को दिल में वसाये हैं
हर सकस को गले लगाएं हैं
कोई नहीं पराया यंहा
आज से कसम खाये हैं
बड़े अरमानो से तिरंगा लहराए हैं
देश भक्ति की अलख जगाये हैं
कुर्वान वो जाए सिमा पर
आज से कसम खाये हैं
लाल किले को देखने आये हैं
संग जाज्व्वातो का समंदर लाये हैं
हर पल देश सेवा में गुजरे
आज से से कसम खाये हैं
गरीबी बेरोजगारी को मिटाने आये हैं
कर्मठता की जोत जलाने आये हैं
भ्रस्ट न हो तन मन
ये बात समझाने आये हैं।
प्रदूषण मुक्त भारत बनाने आये हैं
आवो हवा महकाने आये हैं
हर कोई खुलकर साँस ले
जंगलो को जगाने आये हैं।
Desh Bhakti Poem in Hindi on kashmir
तुम दुश्मन देश का झंडा
घाटी में फहराना ब्नद करो
और खड़ा हुक्मरानो को
हमको बहकाना बंद करो
ये देश तुम्हारा भी है
चलो सब अमन चैन से रहते हैं
जन गण मन जयहिंद बन्दे मातरम
हम देश प्रेम में कहते हैं
देश भक्ति कविता
जब तक रहेगा भारत
आंच नहीं आएगी कश्मीर पे
पड़ी ज़रूरत तो हम सब भी
लड़ लेंगे समसीर से
ये हिन्दोसिता है भूल न जाना
आड़े हाथो लेंगे तुम्हे
बर्दास्त की हद की पार
फिर एक अच्छ सबक भी देंगे तुम्हे
भारत का बुरा चाहने वालो
फिर एक अच्छ सबक भी देंगे तुम्हे।
जम्मू कश्मीर पर कविता
कश्मीर बनेगा पकिस्तान ये
खुवाब देखने वाले सुन
घाटी नफरत की हिंसा को
अग्नि में झोकने वाले सुन
प्रयास ये जो तेरा है कई
दसको से चलते आया है
पर लड़े हैं मेरा वीर सदा
और देश का मान बढ़ाया है
तू भूल न जाना की यह दो गिरते
वो सो उठ जाते हैं
फिर तुझ जैसे गद्दार देख इनको
बिल में घुश जाते हैं
हुक्म मराणो की शरण में
कब तक खीर मनाएगा
बंदूक उठा या पत्थर
पर सेना से बच नहीं आएगा
अरे क्या है कमी इस देश में
क्यों दुश्मन का हाथ पकड़ता है
फिर यही हाथ फंदा बनकर
तेरी गर्दन को जकड़ता है
तू समझ नहीं पाता की
तेरा इस्तेमाल किया जाता है
तेरे कंदो पर रख बंदूक
भारत पे वार किया जाता है
वर्फ जो गिरती ताज़ी
खून के रंग से क्यों रंग जाती है
जब आतंक से मुठभेड़ हो
तब सेना भी रक्त बहाती ह