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swami mukundananda motivational quotes in hindi
हमारी स्थिति के आराम में सुधार से प्रगति का अनुमान नहीं लगाया जाता है। प्रगति तब होती है जब स्थिति प्रतिकूल होती है और हम सामान्य रहते हैं।
अगर हम अपने जीवन को बदलना चाहते हैं तो ये न सोचे एक दिन में संत बन जाएंगे
जीवन में केवल दो त्रासदी हैं: एक वह जो चाहता है वह नहीं मिल रहा है, और दूसरा वह मिल रहा है।
जब तुम तीब्र इच्छा बनाओगे की मुझे इस चीज़ को सीखना है तो तुम दृढ संकल्प करोगे और जब तुम दृढ संकल्प करोगे तो तीब्र प्रयत्न होगा।
कृतज्ञता की भावना का मन पर बहुत शक्तिशाली सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वास्तव में निःस्वार्थ प्रेम के बाद यह दूसरी सबसे सकारात्मक भावना है।
यह मन ही है जो बंधन और मुक्ति का कारण है ‘
इस जगत् का सर्वज्ञात रहस्य यह है कि इच्छा को तृप्त करने से उसका कभी नाश नहीं होता।
हम सब लोग ये तीन चीज़े चाहते हैं सफलता मिले संतोष आनंद मिले।
स्वामी मुकुनदानन्द के अनमोल विचार।
सफल लोग अपने दृष्टिकोण से खुद को असफलताओं से अलग करते हैं जो कि अपने स्वयं के आंतरिक राज्य को प्रबंधित करने की क्षमता है।
जीवन रोमांचक व्यवसाय है, और सबसे रोमांचक तब होता है जब इसे दूसरों के लिए जिया जाता है।
अपनी विचारो के लिए हम सदा अपनी ज़िम्मेदारी उठाये।
सत्य सूर्य के समान है। आप इसे कुछ समय के लिए बंद कर सकते हैं लेकिन यह जाने वाला नहीं है।
संसार में सबसे हानिकारक चीज़ वो छन है जिसका हमने सदुपयोग नहीं किया।
आपके प्रयास और ईश्वर की कृपा, दोनों ही सफलता के लिए आवश्यक हैं।
आप जब साधना करते हैं तो साधना का मतलब भगवान् के प्रति प्रेम को बढ़ाना है।
हमारे शास्त्र कहते हैं दो प्रकार का सुख होता है एक श्रेय और एक प्रेय।
यदि हम आत्म कल्याण चाहते हैं तो हमे अभ्यास करना होगा।
दृश्टि बदलने से सृस्टि बदल जाती है।
आप अपने जीवन में आँखों से नहीं विश्वास से चलते हैं।
Swami Mukundananda Quotes and Suvichar in Hindi
मन स्वयं का एक स्थान है, और अपने आप में स्वर्ग को नर्क से और नर्क को स्वर्ग से बना सकता है।
अपमान किया गया है! मुझे चोट लगी है! पीटा गया है! मुझे ठगा गया है! जो इस प्रकार के विचार नहीं रखते उनका क्रोध समाप्त हो जाता है।
अच्छी आदतें मुश्किल से आती हैं और उनके साथ रहना आसान होता है। इसके विपरीत, बुरी आदतें आसानी से विकसित हो जाती हैं और उनके साथ रहना कठिन होता है।
हमारे भीतर में जो दिमाग है वो बीज के समान है ,और उनसे उत्पन्न कर्म बृक्ष के समान है।
हमारा सबसे महत्वपूर्ण बस्तुं है हमारा मन।
बर्तमान काल में हम सभी जीव अज्ञानी हैं।
कर्म को सब सुधारना चाहते हैं लेकिन वो तभी सुधरेंगे जब विचार सुधरेंगे।