azhar iqbal shayari status-इस पोस्ट में उर्दू के मशहूर शायर अजहर इक़बाल के बेहतरीन शायरी मुसायरा प्रस्तुत है -azhar iqbal best shayari-azhar iqbal shayari in hindi lyrics-अज़हर इक़बाल कविता, ग़ज़ल तथा कविता-azhar iqbal shayari urdu
azhar iqbal best shayari
लड़कियों में ये खराबी है
ये दुबारा ज़बां नहीं होती
और कुछ दिन सीखिए तराकियाँ
उस बदन को पार करने के लिए
हुआ ही क्या जो वो हमे मिला नहीं
बदन ही सिर्फ एक रास्ता नहीं
ये पहला इसक है तुम्हारा सोच लो
मेरे लिए ये रास्ता नया नहीं
अपने हर एक रूप में जीवन सूंदर है
मुझको ये विश्वास तुम्हारे नाम से है
वो जैसे कल कल करती नदियां का शोर
और मैं दूर तलक फैले सागर का मौन
जुनु कम है तो मुझसे सायरी कम हो रही है
तुम्हे पाकर मेरे दीवानगी कम हो रही है
खुद अपनी सोच के बर अक्स जीना पड़ रहा है
सितम ये है की साली ज़िंदगी कम हो रही है
देवताओ के मुखौटे पहने आये वसूल
और हम बैठ के विषपान करते रहे
वो एक पक्षी जो गुंजन कर रहा है
वो मुझमे प्रेम सर्जन कर रहा है
बहुत दिन हो गए हैं तुमसे बिछड़े
तुम्हे मिलने को अब मन कर रहा है
नदी के शान तट पर बैठकर मन
तेरी यादे बिसर्जन कर रहा है।
azhar iqbal shayari instagram
इतना संगीन पाप कोण करे
मेरे दुःख पर विलाप कोण करे
चेतना मर चुकी है लोगो की
पाप पर पच्यताप कोन करे
इस धरा पर तो घुटने लगा साँस भी
सोचता हु की उड़ने लगु काश मैं
मैं दस्तको पे दस्तके दिए गया
वो एक दर मगर कभी खोला न गया
बहुत अजीब सी कैफ़ियते खुमार मैं हु
मैं उसके पास हु और उसके इंतज़ार में हु
तू खुदाई हुस्ने ज़माल है तो हुआ करे
तेरी बंदगी से मेरा भला नहीं हो रहा
हम थे उजलत में ये देखा ही नहीं
वो इसारा था ठहरने के लिए
गाली को परनाम समझना पड़ता है
मधुशाला को धाम समझना पड़ता है
आधुनिक कहलाने की अंधी ज़िद में
रावण को भी राम समझना पड़ता है
ये पहला इसक है तुम्हारा सोच लो
मेरे लिए ये रास्ता नया नहीं।
तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में है
अज़ब सी रौशनी इस रात में है
मैं अब आईना कम ही देखता हु
मेरा अब खुद से भी जी भर गया क्या
अजहर इक़बाल बेहतरीन शायरी, कविता ,गजल, मुसायरा ,
घुटन सी होने लगी उसके पास जाते हुए
मैं खुद से रूठ गया हु उसे मनाते हुए
हमे बेहुनर जान मत जाने जा
हमे आ गए नाज उठाने तेरे
किसी को खुद में पा लेने का मतलब सायरी है
ये दीवाने ही कर सकते हैं ज्ञानी न कर पाए
मेरे नाकामी पे दिल खोल के हंसने वाले
सिर्फ दुश्मन नहीं ग़मख़ार भी हो सकता है
मेरी आवाज़ ख़ामोशी में ढल जाएगी एक दिन
कोई हसरत मेरे अंदर मुक़फ्फल हो रही है।
टूट गयी है धरती प्यास की सिद्दत से
कब तक सहती जलते हुए अम्बर का मौन।
कोई रात आकर ठहर गयी मेरी रात में
मेरा रौशनी से भी राबता नहीं हो रहा
कच्ची उम्रो के खौब हैं सारे
टूट जाए तो दर्द होता है।
ये खुशबुएँ मेरे घर का पता बता देगी
मैं जानता हु की तेरी रह गुजार में हु
हुआ ही क्या जो वो हमे मिला नहीं
तुम उसको ध्यान से देखो किसी दिन
निशा का रूप ही प्रभात मय है।
azhar iqbal poetry in hindi
किसी को होते किसी को अपना बना रही है
अजीब खुवाईश है दिल में जो सर उठा रही है।
वो देवियो की तरह थी तो हम भी श्रद्धा से
तमाम ध्यान उसी पे लगा के बैठ गए।
कटाकर अपने बालो पर गया क्या
वो यादो का मुसाफिर घर गया क्या
मुझे अब तुम बुरी लगने लगी हो
मेरे अंदर का सायर मर गया क्या।
फिर उस गली से गुजरना पड़ा तेरे खातिर
फिर उस गली से बहुत बेकरार आये हैं
क्या सितम है इस नास्ये मोहब्बत में
तेरे शिवा भी किसी और को पुकार आये हम
गुलाब चांदनी रातो पर बार आये हम
तुम्हारे होठो का सज़्का उतार आये हम
एक झील थी सफाक नील पानी की
उसमे डूब के खुद को निखार आये हम
तेरे ही लम्स से उनका खिराज मुमकिन है
तेरे बगैर जो उम्र गुजार आये हम
हो गया आपका आगमन नींद में
छू के गुजरी जो मुझको पवन नींद में
मुझको फूलो की बरसा में नहला गया
मुस्कुराता हुआ एक गगन नींद में
और कैसे उद्धार होगा मेरे देश का
लोग करते हैं चिंतन मन्नान नींद में।
अज़हर इक़बाल shayari in hindi lyrics
मुझे मदिरा से भी मिलती नहीं है
वो मादकता जो तैरेसाथ में है
इस धरा पे तो घुटने लगा साँस भी
सोचता हु की उड़ने लगु काश मैं
तुम उसको ध्यान से देखो किसी दिन
निशा का रूप ही प्रभात में है
जलते हुए साँसों की रब्बानी तेरे नाम
एक छोटी सी प्रेम कहानी तेरे नाम
तेरे संसार से तंग आ गए हैं
हम इस आभार से तंग आ गए हैं
हमे अब चाहिए थोड़ी सी घृणा
निरंतर प्यार से तंग आ गए हैं।
अच्छे बुरे संस्कार उसे देते हम
जन्म से तो हर बालक सरवन होता है।
बेहतरीन कलेक्शन शेयर करने के लिए हृदय से धन्यवाद।