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मेरे घर की दीवारें और दरवाजा बोलता है ,
पुकारता है तुझे वापस आजा बोलता है ,
दिल कुछ इस तरह से हुकूमत चलाता है मुझपर
जैसे अपनी प्रजा से कोई राजा बोलता है।
नतीजे मेरी मोहब्बत के कुछ ख़ास तो आये नहीं ,
प्यार से कुछ अक्छर कहे थे मैंने तुझे रास तो आया नहीं ,
तू कहती है तेरे जिस्म से आती है खुशबु मेरे इत्र की
मैं कहता हु मेरे रकीब में चुराया होगा सायद
मैं तो तेरे पास आया नहीं।
तेरे बदलते मिज़ाज़ बता दिया कोई ,
तेरे जुल्फे सवारने का अंदाज़ बता दिया कोई,
हमे लगा था तेरी मखमली होठो पर सिर्फ हक हमारा है ,
लेकिन आज तेरे लिपस्टिक का स्वाद बता दिया कोई।
मेरा साथ गवारा नहीं कोई बात नहीं ,
इस घर में गुजारा नहीं कोई बात नहीं ,
मैं तो तुम्हारा था जिसके बिना तू रह भी नहीं सकती
क्या कहा मैं भी तुम्हारा नहीं कोई बात नहीं।
तुमसे नाराज हुआ कैसे जाय ,
बिन पूछे तुमको छुआ कैसे जाय ,
अब कुएँ पर ही आना प्यासे को ,
भला प्यासे के पास कुआँ कैसे जाय।
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तुम्हारे घर से होकर जाऊंगा एक दिन ,
तुमपर जुल्म कर जाऊँगा एक दिन ,
मेरे आखड़ी बार देखने की खुवाईश में ही तड़पोगी तुम.
तुम्हे बिना बताये मर जाऊँगा एक दिन।
अपनी शादी का बुलावा देना मैं आऊंगा ज़रूर ,
एक ही निवाला सही पर खाऊंगा ज़रूर ,
आखिर कब तक आंशुओ से पेट भरता रहूँगा।
ऐसे कब तक तुझे याद करता रहूँगा।
जब से पता लगा है वो उसी के साथ खुश है।
मेरे अंदर के सवालों को सबर आ गया है ,
डूब जाएगा उन आँखों में संभलते संभलते भी तू ,
बेशक दरिआओ में क्यों न तैर रखा हो ,
जब रख देगा इसक की राहो में कदम अपना ,
तब पता चलेगा जैसे जल्लादो की वस्ती में पैर रखा हो।
ये जो मेहदी का रंग इतना गहरा है ,
आँखों पर आंशुओ का पहरा है ,
दुआओ में किसी और ने माँगा तुमको ,
किसी और के सर पर सज़ा सेहरा है।
मैंने हर किसी को बताया नहीं है
और तुमसे कुछ भी छुपाया नहीं है ,
तेरे और मेरे रिश्ते के अलावा
कोई भी रिस्ता निभाया नहीं है।
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तू सोच रही होगी अपनी शायरी में तेरा नाम कब लिखूंगा ,
जब तुम खुद ही खुद को ज़माने के सामने बदनाम कर देगी तब लिखूंगा।
जता मत उसे बता मत उसे
बस इजहार कर और प्यार कर उसे ,
इसक सच्चा है तेरा वो तुझे खुद मिल जाएगा थोड़ा इंतज़ार कर।
बड़ी मतलबी दुनिया है साहब कोन किसका होता है ,
कल तलक जो तुम्हारी बाहों में रहता था
वो आज किसी और की बाहों में सोता है ,
उसकी याद में मैं अकेला नहीं हु आँशु बहाने वाला ,
ये आसमान भी है जो मेरे साथ में रोता है।
अब ये दिल महफ़िलो से से डरने लग गया है
आँखे किसी और से मिलने से ही पीछे हटती है ,
खुदा मुझे भी ऐसा दिन दिखाये तब तुझे भी पता चलेगा
की भीगे हुए तकिये पर रात कैसे कटती है।
रेत को मुट्ठी में दबोच नहीं पाए
वो इतने बेवफा निकले की सोच नहीं पाए।
आँशु भी पलकों से और बहकर सुख गए ,
अपनी भीगी पलकों को पोछ नहीं पाए हम।
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तेरे गुनाहों का सज़ा क्या दू
मैं मुर्दे को कजा क्या दू
तूने छोड़ा है किस बात पर मुझे ,
लोग पूछ रहें हैं मैं वजह क्या दू ,
तुझे वेवफा कहना भी आसान नहीं है ,
दर्द कैसे दिखाऊं ज़माने को
जिस्म पर भी तो कोई निसान नहीं है ,
खुवाब इतने थे आँखों में सब तोड़ दिए ,
पिंजरे से निकाले पंछी और पर काटकर छोड़ दिए।
उसका चेहरा आँखों से हटता भी नहीं
न जाने कैसा दर्द है बंटता भी नहीं
वर्षो पहले एक दर्क पे नाम लिखा था उसका
नाम मिटता भी नहीं दरक्त कटता भी नहीं।
अरे जाने दो उसे जो सकस हमारा नहीं ,
किसने कहा उसके बिना गुजारा नहीं ,
आखड़ी दफा मुड़ के आवाज़ दे रहें हैं
देखना न देखना अब उनकी मर्जी
फिर मत कहना तुमने पुकारा नहीं।
मेरे सामने ज़हर का जाम रखा है तूने
कितनी बेशर्मी से गैर का हाथ थाम रखा है तूने ,
मुझे देकर दर्द ज़िंदगी भर के लिए
बड़ी चालाकी से अपना दर्द नाम रखा है तूने।
करण गौतम के शायरी
जहां जाना है चली जाना तुम
हर दफा मुझसे बेहतर ही पाना तुम ,
बस एक आकड़ी ख्वाईश मुकम्बल हो जाए मेरी ,
मेरे जनाजे पर सबसे पहले आना तुम।
मेरी यादों से अब तक वो गया ही नहीं
उसकी आँखों में अब जहां दीखता है बस हया ही नहीं ,
बेवफा उसकी बताने बैठु तो ज़िंदगी बीत जाए।
उसकी कहानी मेरी लफ्ज़ो में बयां ही नहीं।
कभी मेरी याद आये तो वापस आ जाना
तेज़ आँधियो के साथ बरसात आये तो वापस आ जाना
उसी बरसात में बाहें खोलकर तेरा इंतज़ार करूँगा मैं ,
चाहो तो परखकर देख लेना आखरी सांस तक तेरा इंतज़ार करूँगा।
मोहब्बत करने में मुकर जाती हो सनम ये ठीक नहीं ,
किसी की बाहों में बिखड जाते हो सनम ये ठीक नहीं
हमसे मिलने से पहले पहनते हो कपडे आज़ादी से पहले की
गैरो के लिए सबर जाते हो सनम ये ठीक नहीं।
कैसे किसी से झूठा वादा कर देतें हैं लोग
करते करते बहुत ज्यादा कर देतें हैं लोग
जिनके होने से पूरा हुआ करते थे हम
करके जुदा खुद से हमे आधा कर देतें हैं लोग।
करण गौतम के पोएट्री
तेरी यादें मेरी जहन से न जाए पिया
नैना लड़ाई पछताए पिया ,
फेरे हो गए जब गैर संग हमारे
तब तुम आये तो क्या आये पिया।
ज़माने के ताने पसंद आने लगें हैं
दर्द भरे गाने पसंद आने लगें हैं ,
नए रिश्तों को तो आज़माकर देख लिया हमने
अब कुछ लोग पुराने पसंद आने लगें हैं।
कोन सा गुनाह कोन सा खता किया था
एक मोहब्बत ही तो की थी
सज़ा ऐसी मिली की अब गुनाह कर लेंगे
मोहब्बत नहीं ,
चाँद की रौशनी भी बड़ी प्यारी से लग रही
वो हमारी न होकर भी हमारी सी लग रही ,
कितनी वेवफाइयाँ की है वो अच्छे से जानती है
सबकुछ जानकार भी कितनी बेचारी से लग रही है ,
मन्नत न कोई शिकायत न कोई इबादत है ,
ये दीपावली के दिए मेरे घर से ज़दा दूर जलाना
मुझे अंधेरो में ही रहने की आदत है ,
मुझे हौसला चाहिए कोई दे सकता है ,
उसके और मेरे बीच कोई फैसला चाहिए कोई दे सकता है ,
जिसमे उसका गुजारा हो पाए ऐसा घर नहीं बना पाया आजतक ,
बस एक छोटा सा घोषला चाहिए कोई दे सकता है।
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इंतकाम की आग को दिल में समा कर बोलतें हैं
ऐसे यकीं नहीं आता इसलिए पलके भीगा के बोलते हैं ,
मेरी नफरत का अंदाजा लगा लेना इसी बात से तू ,
हर बात में झूठ बोलतें हैं और तेरी कसम खाकर बोलतें है।
अब रुतवा थोड़ा ऊँचा कर लिया है
अब तू दुबारा लौट के आये मेरे ज़िंदगी में
ऐसी तुम्हारी तक़दीर नहीं ,
मैं तो मर गया था कब का रांझा बनके ,
पर तू कोई हीर नहीं है ,
फिर तुझे जाओ ज़िंदगी में तड़पाऊं दिल इसकदर बार बार ,
ये मेरा दिल है तेरे बाप की जागीर नहीं।
क्यों हर दिल का तड़पना ज़रूरी सा हो जाता है ,
क्यों इसक को पाना फितूरी सा हो जाता है ,
मेने देखा है वो इंसान भी जो पत्थर दिल कहता था खुद को ,
आज भरी महफ़िल में हँसते हँसते रो जाता है बैठे बैठे खो जाता है।
खुद को सही सावित करते करते बदनाम हो गए
और इससे ज्यादा क्या करें हम
तनहा रहना सिख लिया है है दिन में
अब कोई छोड़ भी जाए अँधेरे में
तो नहीं डरेंगे हम और लोगो की नज़रो
से गिरने की इतनी आदत सी हो गयी है ,
अगर आसमान से गिर जाए तो नहीं मरेंगे हम ,
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सिद्दत से टूटकर तुझे प्यार करूँगा
हर सज़दे में तेरा दीदार करूँगा
मेरे सबर का इम्तिहान नहीं लेना तू कभी
मैं आखड़ी सांस तक तुम्हारा इंतज़ार करूँगा।
दुनिया से छुपा के तुझे निहाहो में रखना है
बेहद मोहब्बत से तुझे अपने बाहों में रखना है
बगीचे इसलिए मुझसे नाराज़ है सायद
की हर फूल को गिरने से पहले तेरे राहो में रखना है।
पत्थर आसमान के पार भी जा सकता है
मगर कभी फेका नहीं तुमने
तारीफ़ तो तुम्हारे जिस्म का भी कर सकते थे हम
क्या करें चेहरे से नीचे कभी देखा नहीं हमने
दिन क्यों ढलता है रात क्यों आती है ,
मेरी जुबान पर उसकी बात क्यों आती आती है।,
मेरी बात प्यार मोहब्बत और शादी की हो तो सही भी ,
न जाने ये मोहब्बत के बीच जात क्यों आती है।
दुसरो की ख़ुशी से रिस्ता बाद में बनाना
अब अपनी रूह से रिस्ता जोड़ के देखना ,
सिर्फ पापा की पड़ी बोलने से कुछ नहीं होने वाला ,
वक्त आ गया हैं थोड़ा उड़ के दिखादो।
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bhai meri bhi ek bhaut pyari si kahani thi me uska raja aur vo meri divani thi
ek mere liye bhi likho kuch please jisme mera name ho aur uska bhi
Ram
Ankima