Munawwar rana shayari in इस पोस्ट के अंदर मशहूर उर्दू शायर मुनव्वर राणा के द्वारा लिखा गया बेहतरीन सायरी प्रस्तुत किया गया मुझे उम्मीद है की आपको ये शायरी बहुत पसंद आएगा। munawwar rana shayari on maa
हरेक आवाज़ उर्दू को अब फरयादी बताती है।
ये पगली फिर भी खुद को अब तक सहजादी बताती है।
कई बातें मोहब्बत सबको बुनयादी बताती है।
जो परदादी बताती थी वही दादी बताती है।
जहाँ पिछले कई बरसो से काले नाग बैठे हैं
वहां घोसला चिडियो का है दादी बताती है।
मंजिल करीब आते ही एक पाँव कट गया
चौरी हुयी सड़क तो मेरा गाओ काट गया।
munawwar rana shayari on life
थकन को ओढ़ के बिस्तर में जाकर लेट गए
हम अपनी कबड़े मुक़र्रर में जाके लेट गए
तमाम उम्र हम दूसरे से लड़ते रहे
जब मरे तो बराबर जाकर लेट गए।
कलंदर संग मर मर के मकानों में नहीं रहता
मैं असली घी हु बनिए के दुकानों में नहीं मिलता।
फिर दुनिया में मेरे चाहने वाले कहाँ होते।
ये अच्छा शेर है कारखानों में नहीं मिलता।
उनके होठो से मेरे हक में दुआ निकली
जब मरज़ फ़ैल चूका है तब दबा निकली
Munawwar Rana Maa Shayari
हमारे गुनाहो की सज़ा भी कुछ साथ चलती है
हम अब तनहा नहीं चलते दबा भी साथ चलती है।
अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ नहीं होगा
मैं जब चलता हु दुआ भी साथ चलती है।
मैं इसका नाज़ उठता हु सो ये ऐसा नहीं करती
ये मिटटी मेरे हाथों को कभी मैला नहीं करती
खिलौने की दुकानों की तरफ से आप क्यों गुजरे
ये बच्चे की तमन्ना है ये समझता नहीं कड़ती।
शहीदों की ज़मी है जिसको हिंदुस्तान कहतें हैं
ये बंजर हो के भी बुझदिल कभी पैदा नहीं करती।
munawwar rana shayari on politics in hindi
एक ज़ख्म परिंदे की तरह हम जाल में हैं
ए इसक अभी तक तेरे जंजाल में हम है।
अब आपके मर्ज़ी है संभाले न संभाले
खुशबु की तरह आपके रुमाल में हम है।
आपकी सूरत ही सही याद है अब तक।
माँ कहती थी ले ओढ़ ले इस साल में अब हम हैं।
मैं उठ के रोने लगा जब मौत के डर से
नेकी ने कहा नामाये अमाल में हम हैं
चलती फिरती आँखों से अदा देखि है
मैंने ज़न्नत तो नहीं देखि माँ देखि है।
मुहाजिर हैं मगर हम दुनिया छोड़ आये हैं
तुम्हारे पास जितना है हम उतना छोड़ आये हैं।
मुनव्वर राना shayari in urdu
ये खुदगर्जी का ज़ज़्वा आज़तक हमको सताता है
की हम बेटे तो लाये भतीजा छोड़ आये।
किया है अपने को बर्वाद शेर कहने लगे
जब या गयी है तेरे याद तो शेर कहने लगे।
ये नहर दूध की हम भी निकाल सकते हैं
मजा तो जब है की फरहाद शेर कहने लगे।
ए अँधेरे देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखे खोल दी घर में उजाला हो गया।
गले मिलती हुयी नदियां गले मिलते हुए मौषम
इलाहाबाद में कैसा नजारा छोड़ आएं हैं
कल एक अमरुद वाले से कहना पड़ गया हमको
जहां से आएं हैं इस फल की बगिया छोड़ आएं हैं।
अब कोई दोस्त लाओ मुकाबिल के हमारे
दुसमन तो कोई कद के हमारे बराबर नहीं निकला
इसक है तो इसक का इजहार होना चाहिए
आपको चेहरे से भी बीमार होना चाहिए
अपनी यादो से कहो एक दिन की छुट्टी दे हमे
इसक के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए।
किसी को घर मिला हिस्से में या दूका आयी
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आयी।
बुलंदी देर तक किस सख्स के हिस्से में रहती है
बहुत अच्छी ईमारत हर घड़ी खतरे में रहती है
बहुत जी चाहता है कायदे जान से हम निकल जाएँ
तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलवे में रहती है।
जब भी कस्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुयी खुवाब में आ जाती है।
दुःख भी ला सकती है लेकिन जनवरी अच्छी लगी
जिस तरह बच्चो को जलती फुलझरी अच्छी लगी।
रो रहे थे सब तो मैं भी फुट के रोने लगा।
वरना मेरी बेटियों की रुखसती अच्छी लगी।
गिरगिराये नहीं हाँ हम दो सना से मांगी
भीख भी हमने जो मांगी खुदा से मांगी।
लिपट जाता हु माँ से और मौसी मस्कुराती है
मैं उर्दू में गजल कहता हु हिंदी मुस्कुराती है।
आगे जख्म पर चाहत से पट्टी कोन बंधेगा
अगर बहने नहीं होगी तो राखी कोन बंधेगा।
उदाश रहने को अच्छा नहीं बताता है
कोई भी जहर को मीठा नहीं बताता है।
कल अपने आप को देखा था माँ की आँखों में
ये आईना हमे बूढ़ा नहीं बताता है।
ऐ अँधेरे देख तेरा मुँह काला हो गया
माँ ने आँखे खोल दी घर में उजाला हो गया।
किसी से भी कहीं जिक्रे जुदाई मत करना
इन आंशुओ को कभी रोसनाई मत करना।
जहाँ से जी न लगे तुम वहीँ बिछड़ जाना
मगर खुदा के लिए वेबफ़ाई मत करना।
हमारे कुछ गुनाहो की सजा भी साथ चलती है।
हम अब तनहा नहीं चलते दवा भी साथ चलती है।
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