ये कहानी उस इंसान की है जिसकी न तो सकल अच्छी थी न ही अमीर परिवार से थे लेकिन सपने बहुत बड़े थे 12 साल कड़ी संघर्ष के वाद फिल्म इंडस्ट्री के एक ऐसे चेहरे हैं जो किसी पहचान के मोहताज़ नहीं हैं वो हैं | Nawazuddin Siddiqui जो अपने संघर्ष और मेहनत के बलपर एक्टिंग की दुनिया में देश और बिदेश में अपना एक्टिंग का लोहा मनवाया है जो आज के लोगो के लिए एक मोटिवेशन है जो लोग कहते है की सिर्फ बड़े लोग ही बड़े सपने देखते हैं।
Nawazuddin Siddiqui का जीवन परिचय :
नवाज़ उद्दीन सिद्दीकी का जन्म 19 मई 1974 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर ज़िले में बुधना में हुआ था उनके पिता का नाम स्वर्गीय Nawazuddin Siddiqui और माता का नाम मेहरुनिन्सा है उनके पिता छोटे किसान थे Nawazuddin Siddiqui बहुत ही साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं 8 भाई बहन में सबसे बड़े भाई हैं नवाज उद्दीन सिद्धिकी।
नवाज़ उद्दीन सिद्धीकी की पढ़ाई लिखाई :
नवाज़ उद्दीन सिद्धीकी अपनी 12वीं तक की पढ़ाई अपने गांव में ही किये गांव में पढ़ाई लिखयी की उतनी साधन वो आगे की पढ़ाई करते उन्होंने बीएससी करने के लिए हरिद्वार चले गए तब वहां उन्होंने गुरुकुल कंगरी विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री प्राप्त किये उसके बाद गुजरात के एक दबाई कंपनी में केमिस्ट का भी काम किये।
नवाज़ उद्दीन सिद्धिकी के जीवन का संघर्ष:
नवाज उद्दीन सिद्दीकी अब गुजरात में उस दबा कंपनी में काम करते थे ज़िंदगी तो कट रही थी लेकिन मजा नहीं आ रहा था किसी दिन उन्होंने थियेटर देखा और उन्हें एक्टिंग का भूत चढ़ गया और वो केमिस्ट का काम छोड़कर दिल्ली आ गए और थियेटर ग्रुप ज्वाइन कर लिया थियेटर ग्रुप में उन्हें मुफ्त में काम करना पड़ता था उन्हें पैसे नहीं मिलते थे लेकिन उनके पास पैसे तो थे नहीं इसके लिए उन्होंने वॉचमैन का जॉब कर लिए जिसमे उनका काम था गेट खोलना लगाना आने जाने वाले को सलाम ठोकना। ये दिन भर वॉचमैन का काम करते थे और रात में थियेटर में एक्टिंग सीखते थे। एक दिन एक्टिंग को वो अपना पेंशन बना लिए और तब वो एनएसडी यानि नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा ज्वाइन कर लिए। वहां से डर्ग्री पूरा करने के वाद वो 1 साल तक काम की तलाश में रहे। फिर जाके उन्होने साक्षी थियेटर ग्रुप ज्वाइन किया और उसमे उन्हें बड़े बड़े कलाकारों सौरभ शुक्ला, मनोज बाजपेयी जैसे कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला। धीरे धीरे उनकी एकटिंग अच्छी हो गयी थी लेकिन ये सब से पेट भरने वाला नहीं था और वो एक अच्छा एक्टर बनने के लिए एकटिंग की दुनिया मुंबई पहुंच गए। जब वो मुम्बई पहुंचे तब उनके पास इतने पैसे नहीं थे की वो अकेले कमरे किराये पे लेकर रह सकते थे वो एनएसडी के कुछ दोस्तों के साथ एक ही कमरे में कई लोग रहने लगे थे। और बेड की तो बात कहाँ वो सभी लोग निचे फर्श पर सोते थे कमरे में इतने लोग थे की वो रात को कमरा बी बंद नहीं कर पाते थे। वो वॉचमेन की नौकरी के पैसे से ही गुजारा कर रहे थे। उसी पैसे से ऑडिशन देते रहते और रिजेक्ट होते रहते थे सकल तो हीरो बनने जैसी बिलकुल भी नहीं थी फिर भी बन्दे में जूनून था हीरो बनने की। एक वक्त ऐसा भी हुआ की कमाए हुए पुराने सारे पैसे खत्म हो गए। रूम के किराये के लिए भी उनके पाश पैसे नहीं थे। इधर उधर करके गुजारा करने लगे फिर भी हिम्मत नहीं हारा कई दिनों तक भूखे रह जाते थे ऐसे करके उन्होंने 12 साल तक स्ट्रगल किया कभी कभी सोचते थे की गांव चले जाते हैं फिर ये सोचते थे की वहां जाकर क्या करेंगे खेती लोग क्या कहेगे बिना सकल के हीरो बनने चला था अब आ गया वापस। लेकिन वो गांव नहीं गए मेहनत करते रहे फिर एक दिन ऐसा हुआ।
Nawazuddin Siddiqui का बॉलीवुड सफर:
धीरे धीरे उन्हें फिल्मो में छोटे मोटे किरदार मिलना शुरू हो गए कभी कभी फिल्मो में वो भीड़ का भी हिस्सा रहते थे उसके बाद 1994 में पहली बार उन्हें फिल्म, सरफ़रोश, में चोर का किरदार मिला उसके बाद फील्म, सुल , जंगल, दिल पे मत ले यार ,जैसे लगातार कई फिल्म में काम मिलने लगे और उनकी ज़िंदगी अब बदलना शुरू हो गयी थी उसके बाद अनुराग कस्यप की एक फिल्म ब्लेक फ्राइडे में उन्हें एक पॉवरफुल रोल मिला लेकिन वो फील्म रिलीज़ नहीं हुयी और उसके बाद भी कई फिल्म किये जब फिल्म ब्लैक फ्राइडे रिलीज नहीं हुयी थी तब अनुराग कश्यप ने वाद किया मैं तुम्हे लेकर एक दिन फिल्म जरूर बनाऊंगा और ये वादा उन्होंने पूरा किया और 2012 में फिल्म बनाया गैंस ऑफ़ वासेपुर ये फिल्म हीट रहा इसके लिए उन्हें नेशनल फिल्म अवार्ड भी मिला और वो फिर कभी पीछे मुरकर नहीं देखा। और एक से एक हीट फिल्म किया और उन्होंने कई फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला आज वो फिल्मो में रोल के लिए 1 करोड़ चार्ज करते हैं
Nawazuddin Siddiqui का परिवार :
नवाज़ उद्दीन सिद्दीकी ने आलिया उर्फ़ अंजना किशोर पांडेय से सदी किये और उन्हें एक बेटा और एक बेटी भी है वो अपने छोटे भाई शमास के साथ अँधेरी मुंबई में रहते हैं
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