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शकील आज़मी की गजलें (shakeel azmi gazle )
ज़िंदगी किस कदर सिमट गयी थी
उसके पीछे मैं भागा बच्चो सा
वो पतंगों की तरह कट गयी थी
उसको रखा था जिस जगह मैंने
उस जगह से जड़ा हट गयी थी
वो कई दिन से रोना चाहती थी
एक दिन फिर मुझसे लीपट गयी थी
अलविदा कह के जा रही थी वो
जाते जाते में पलट गयी थी।
जान दे सकता है क्या साथ निभाने के लिए
हौसला है तो बढ़ा हाथ मिलाने के लिए
ज़ख्मे दिल इसलिए चेहरे पर सजा रखा है
कुछ तमाशा तो हो दुनिया को दिखाने के लिए
एक झलक देख ले तुझको तो चले जायँगे
कोन आया है यंहा उम्र बिताने के लिए।
मैंने दिवार पे क्या लिख दिया खुद को एक दिन
बारीस होने लगी मुझको मिटाने के लिए।
खुद को इतना भी मत बचाया कर
वारिसे हो तो भीग जाया कर
काम ले कुछ हसीं होठो से
बातो बातो में मुस्कुराया कर
चाँद लाकर कोई नहीं देगा
अपने चेहरे से जगमगाया कर
धुप मायुश हो जाती है
छत पर कपडे सुखाने आया कर
कोन कहता है दिल मिलाने को
कम से कम हाथ तो मिलाया कर।
शकील आज़मी की ग़ज़लों से चुनिंदा शेर
जो रंजिसे थी उन्हें बरकरार रहने दिया ,
गले मिले भी तो दिल में उबार रहने दिया
गली के मोर से आवाज़ देकर लौट आये
तमाम रात उसे वेकरार रहने दिया।
आँखों में इन्तजार भी रहने दिया
उसे भुला भी दिया याद भी रखा
नशा उतार दिया और खुमार रहने दिया।
पड़ो को खोल ज़माना उड़ान देखता है
ज़मी पे बैठ के क्या आसमान देखता है
मिला है हुस्न तो इस हुस्न की इफाजत कर
संभल के चल तुझे सारा जहां देखता है।
कनीज हो कोई या कोई शहजादी हो
जो इसक करता है कब खानदान देखता है।
करीव आते हुए इतने पास हो गए थे
की फिर बिछड़ते हुए हम उदास हो गए थे
हवस को इसक में शामिल नहीं किया हमने
वो जब भी जिस्म बना हम लिवास हो गए।
छत दुआ देगी किसी के लिए जीना बन जा
डूबता देख किसी को तो सफीना बन जा
रूह तो पहले से ही पाक मिली है तुझको
दिल भी कर साफ़ जड़ा और मदीना बन जा।
ज़िंदगी देती नहीं सबको सुनहरे मौके
तुझको अंगूठी मिली है तो नगीना बन जा।
शकील आज़मी shayari status इन हिंदी
इनके वास्ते दरिया पे पूल बनाना क्या
गले लगाने से पहले ये काम करना था
बना लिया उसे अपना तो आजमाना क्या
कहानी जिसकी थी उसके ही जैसा हो गया था मैं ,
तमाशा करते करते खुद तमाशा हो गया था मैं
न मेरा नाम था न दाम बाजारे मोहब्बत में
बस उसने भाव पूछा और महंगा हो गया था मैं
बिता दी उम्र मैंने उसकी एक आवाज़ सुनने में
उससे जब बोलना आया तो बहरा हो गया था मैं ,
खुद को ढूंढ कर एक रोज गोली मार दी मैंने
जिसे चाहा उसी के जान का खतरा हो गया था मैं
जान दे सकता है क्या साथ निभाने के लिए
हौसला है तो बढ़ा हाथ मिलाने के लिए
जख्मे दिल इसलिए चेहरे पर सजा रखा है
कुछ तमसा तो हो दुनिया को दिखने के लिए
एक झलक देख ले तुझको तो चले जायेंगे
कोन आया है यहां उम्र बिताने के लिए
मैंने दिवार पे क्या लिख दिया खुद को एक दिन
बारिशें होने लगी मुझको मिटाने के लिए।
शकील आज़मी के बेहतरीन सायरी ( shakeel azmi best shayari)
उसको आकाश बनाता था मैं
और बनके मैं ज़मी रहता था
जब कोई आँख न थी दुनिया में
तब भी वो पर्दा नसी रहता था
उससे एक बार गले मिलके सकिल
मैं कई रोज हंसी रहता था
ये बीरान सी आँखे है तेरी
मैं बहुत पहले यही रहता था।
मैं भी तूम जैसा हु अपने से
जुदा मत समझो आदमी ही रहने दो
मुझे खुदा मत समझो।
हर घडी चश्मे ख़रीदार में रहने के लिए
कुछ हुनर चाहिए बाजार में रहने के लिए
ऐसी मज़बूरी नहीं है की चालू पैदल मैं
खुद को गरमाता हु रफ़्तार में रहने के लिए
मैंने देखा है जो मर्दो की तरह रहते थे
मस्कारे बन गए दरवार में रहने के लिए
अब तो बदनामी से सोहरत का वो रिस्ता
है की लोग नंगे हो जाते हैं अखवार
में रहने के लिए।
जिस्म के उसका हर इजहार नया लगता है
जब भी देखो उसके हर बार नया लगता है
कल के अखवार में तस्वीर छपी थी उसकी
कल के अखवार में दिन पुराना हुआ
अखवार नया लगता है।
और कुछ दिन यंहा रुकने का बहाना मिलता
इस नए शहर में कोई तो पुराना मिलता ,
मैं तो जो कुछ भी था जितना भी था सब मिटटी था
तुम अगर ढूंढते मुझमे तो खजाना मिलता
मुझको हसने के लिए दोस्त मय्सर हैं बहुत
काश रोने के लिए कोई साना मिलता।
तू नहीं दिल में में पर तेरा निशा बाकी है
बुझ गयी आग मोहब्बत की धुआँ बांकी है
जिस जगह कैलेंडर में हमने जुदाई लिखी
एक मुलाकात की तारीख वंहा बांकी है।
मैं तेरे वेवफा होने से परेशान नहीं
दिल लगाने को अभी सारा जहां बांकी है
shakeel azmi poetry in hindi
हार तब होती है जब मान लिया जाता है
जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है,
एक झलक देख के जिस सेक्स की चाहत हो जाय
उसको परदे में भी पहचान लिया जाता है।
कहि कोई है जो नवजे दुनिया चला रहा है
वही खुदा है जो होके गायब कमाल
अपना दिखा रहा है
अँधेरी रातो के आंचलों में जो
झिलमिलाता है नूर बनकर ,
जो चाँद तारो से आसमा को सजा रहा है
वही खुदा है सहर की महकी हुयी फजा में
सुनहरे सूरज की ताज पहने जो वादियों में
जो वादियों पे गुलो की चादर बिछा रहा है।
वही खुदा है जो होके गायब कमाल
अपना दिखा रहा है