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chetna balhara poetry

top 51+ chetna balhara poetry in hindi चेतना बलहारा की शायरी।

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chetna balhara shayari in hindi

वो हंसकर क्या कह सकता है
बस सारे जुल्म सह सकता है
जब बात माँ पर बनाये तो
वो मेरे बिना भी रह सकता है।

अब हमसे तो न ही बदलाओ तुम
ऐसा करो भांर में जाओ तुम
ये मासूम सा चेहरा इरादे नेक नहीं तुम्हारे
अकल दी है भगवान् ने जड़ा उसे काम में लाओ तुम।

उसकी एक खुवाईश की वो बर्वाद हो
उसका नाम तो हो पर मेरे बाद हो ,
उसे भी तो समझ आये दुःख मेरा
यार लड़की ही उसकी पहली औलाद हो ,

वो हंसकर क्या कह सकता है
बस सारे जुल्म सह सकता है
जब बात माँ पर बनाये तो
वो मेरे बिना भी रह सकता है।

मत पूछिए न कुछ आप हमसे
जान लीजिये न आपको जबाब की क्या ज़रूरत
आँखे नशीली की देखे तो नशा चढ़े
बताईये हमे शराब की क्या ज़रूरत।

दिल में है जो छुपाना नहीं
उसे कुछ पूछो तो बताना नहीं है
यार देखो हमे मगर प्यार से
निहारने पर कुछ जुरमाना नहीं है।

तुझपे ज़िंदगी बार सकती हु
हर दिन सबार सकती हु
तुझसे सूंदर कोई नहीं
तुझे पूरा दिन निहार सकती हु।

वेवजह किसी से बात नहीं करते
बड़ो को बोलने से पहले शुरुआत नहीं करते
बड़े हु तुम बाप नहीं कहने को हम भी कह सकते हैं ,
पर मम्मी कहती है अच्छे बच्चे गन्दी बात नहीं।

TOP 10 BEST CHETNA BALHARA POETRY ,SHAYARI STATUS

इतना खर्चा किया है मैंने
किसी के सामने नहीं नहीं रो सकता ,
बाबन रूपये बचे हैं जिसमे
बाबू अब रिचार्ज भी नहीं हो सकता।

सबके लिए मौजूद नहीं हु मैं
टूटे रस्ते पर आ खड़ी हु मैं
मैं चाहती हु बदले में वो भी प्यार करे
अरे यार कितनी मतलबी हु मैं

दूर समंदर आसमान किनारे हो यार
खुला आसमान चाँद सितारे हो यार
तू जो कोशिस डर डर के रात भर
पकड़ने के कर रहे हो ,
तुम कितने प्यारे हो यार।

जख्म है तोफा पहले बार पर
कर लिया है भरोशा फिर से प्यार पर
छोटी मोती चीजे उसे पसंद नहीं
सो इतना नाम ही नहीं उसका दिवार पर

मेरे साथ जो रहा है रहा नहीं चला गया
आँखे जम चुकी है मेरी
आँशु का पानी सुख गया है।
सब ठोकर नहीं खाते ,

दिल तो दिल है न
बेचारा नादान होता है
आपको क्या लगता है भुलाना आसान होता है ,
इसक के बारे में कोन ही अब बहस करे
अज़ीज़ हो जाता है वो शख्स जो अनजान होता है।

तेरे चक्कर में इतनी चोटे खायी हु
कही खोने के वाद वापस अब आयी हु
देख मुझे अब अकेला रहने दे
मैं बहुत वक्त बाद मुस्कुराया हु।

 New shayari chetna balhara

आकर अँधेरे में अब छुप गयी हु मैं
तन्हाई मुझे ले जाए जा रहे हैं
रोना चाहती हु आँशु आ नहीं रहे
ये कैसी रात है मुझे खायी जा रही है।

मेरे सामने बात होगी सिर्फ मेरे प्यार की
अगर हो तकलीफ तो तसरीफ उठाके भाग जाना।

आज ये जो मेरी फ़िक्र कर रहे हो
शायद ये दो दिनों का प्यार है
गुलदस्तों का सौक नहीं जो हमे थमा रहे हो
हम जानते हैं मिया सारे फूल कांटेदार हो।

आये मेरे पास वो कहने
क्या तुम्हे मोहब्बत है
बोल न पायी मैं सच में कुछ भी
यु पसीना छूट गया ,

न निकला करो तू बाहर जान ज़माना ठीक नहीं
भटके हुए मुसाफिरों को जान घूमाना ठीक नहीं।
जो गया था छोड़कर वो नसीब किसका था ,
चक्कर में किसी गैर के जान गबाना ठीक नहीं।

मोहब्बत दरिया है झील नहीं
गुनाह ऐसा कर दिया सज़ा मिलनेवाली है
ये कैसी अदालत है यार यंहा वकील ही नहीं।

चेतना बलहारा की कविता शायरी

मोहब्बत अपने आप में एक ज़ालिम सरकार है
गरीब लोगो के हाथ में सच्चे लोगो की पगार है
रहम न खाओ जालिमो हमे नुक्सान पहुंचाने में
हम वो लोग हैं जिन्हे दर्द का खुमार है।

खुद को तुझसे अलग करना होगा
यानी वक्त आ गया मरना होगा
पत्त्थर से सीसा तुमने बनाया
टूट चुकी हु अब बस बिखड़ना है

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