waseem barelvi shayari on love -इस पोस्ट में उर्दू के मशहूर सायर वसीम वरेलवी साहब के बेहतरीन सायरी गजल को शेयर किया गया है -waseem barelvi ghazal lyrics-wasim barelvi ka mushaira-waseem barelvi best shayari-वसीम बरेलवी शायरी इन हिंदी-waseem barelvi ghazal in hindi
waseem barelvi best shayari
उतरना आसमानो से तो कुछ
मुशिकल नहीं लेकिन
ज़मी वाले फिर मुझे ज़मी पर
चलने नहीं देंगे।
उसी को तोड़ रहा हु जिसे बनाना है
वो जनता ही नहीं कैसे घर चलाना है।
हमारे दिल में भी झाको अगर मिले फ़ुरसर
हम अपने चेहरों से इतने नजर नहीं आते
इरादा छोड़िये अपनी हदो से दूर जाने का
ज़माना है ज़माने की निगाहो में न आने का।
आँखों को मूंद लेने से खतरा न जाएगा
वो देखना पड़ेगा जो देखा न जाएगा
पैमाना भर चला है मोहब्बत के सब्र का
झूठी तसलियो से संभाला न जायेगा।
वो अपने वक्त के नशे में खुसिया
छीन ले तुमसे मगर जब तुम हंसी बांटो
तो उसको भूल मत जाना
प्यार वालो के दिए काम कहाँ आते हैं
आँख भीगेगी तो कमरे में उजाला होगा।
गुनहगार तो नज़रे हैं आपकी बर्ना
कहाँ ये फूल से चेहरे नकाब बांधते हैं।
चला है सिलसिला कैसा ये
रातो को मनाने का
तुम्हे हक़ दे दिया किसने दियो को
दिल दुखाने का।
waseem barelvi shayari ghazal in hindi
मैं ही था बचा के ले आया खुद
को किनारे तक, समंदर ने बहुत
मौका दिया डुब जाने का।
निगाहो के तकाजे चैन से मरने नहीं देते
यंहा मंजर ही ऐसी है की दिल भरने नहीं देती।
ये लोग औरो की दुःख जीने निकल आये हैं
सरको पर अगर अपना ही गम होता तो यु ही
झरने नहीं देते
मैं बोलता गया हु वो सुनता रहा खामोश
ऐसे ही मेरी हार हुयी है
मेरे गुनाहो का पर्दा तो रख लिया तूने
मगर ज़मीर का बोझ ये कैसे जाएगा।
नहीं गोदे बदलना चाहता है
ये बच्चा पाँव चलना चाहता है।
आते हैं आने दो ये तूफ़ान क्या ले जाएंगे
मैं जब तक डरता की मेरा हौसला ले जायेंगे
ज़मी पर मैं खड़ा हु वो मेरा पहचान है
आप आंधी हैं तो क्या मुझको उड़ा ले जायेंगे
चलते चलते राह में तुमसे अलग हो जाए हम
कोन जाने कब तुम्हारी दुखती रग हो जाए हम
मुझको गुनहगार कहे और सजा न दे
इतना भी इख्तियार खुदा किसी को न करे
वसीम बरेलवी शायरी इन हिंदी
गुल को मिलने का सलीका आपको आता नहीं
मेरे पास कोई चोर दरवाज़ा नहीं वो समझता था
उसे पाकर ही रह जाऊंगा उसको मेरी प्यास की
सिक्कत का अंदाज़ा नहीं।
बात करते हैं तो करते हैं दिल हजारी की
कोई तो दबा होगा आपके बिमारी की
साडी दुनिया ये राखी हाथ में रह जायेगी
कोई कीमत बताये मेरे खुद्दारी की।
बिछड़ जाओ तो रिस्ता तेरी यादो से जोड़ूंगा
मुझे ज़िद है मैं जीने का कोई मौका नहीं छोडूंगा।
आगे बढ़ना है तो आवाज़े सुनी जाती नहीं
रास्ता देने का मतलब है खुद पीछे रहो
देखना साथ छूटे न बुजुर्गो का कहि
पत्ते पेड़ो पे लगे हो तो हरे रहते हैं।
पुरखो की रिवायत से कहाँ भाग रहे हैं
घर पर तेरे खतरा है तो हम जाग रहे हैं
जायदादें कहाँ बटी इनमे
जायदादों में बाँट गए भाई
रूठ गए वो तो रूठ जाने दो
ज़रा सी बात पे बह जायेगी मनाने से।
वसूलो पे जहां आंच आये टकराना जरुरी है
ज़िंदा हो तो फिर ज़िंदा नजर आना ज़रूरी है।
वसीम बरेलवी shayari ghazal lyrics
मैंने मुद्दत से कोई खाब नहीं देखा है
हाथ रख दे मेरे आँखों पे की नींद आ जाय
ये सोचकर कोई अहदे वफ़ा करो हमसे
हम एक वादे पर उम्र गुजार देते हैं।
उदास एक मुझि को तो कर नहीं जाता
मुझसे रूठकर अपने भी घर नहीं जाता।
वो दिन गए की मोहब्बत थी जान की वाज़ी
किसी के अब कोई बिछड़े तो मर नहीं जाता।
रात भर शहर की दीवारों पर गिरती रही ओस
और सूरज को समंदर से ही फुर्सत न मिली
बिगड़ना भी हमारा कम न जानो
तुम्हे कितना संभलना पर रहा है।
अगर मैं ये कहु की मैंने नए रस्ते निकाले हैं।
तो वो कहता है उसके सारे मंजर देखे भाले हैं
वसीम अपने समझ में तो बस इतनी बात आयी है
जो टूटे दिल संभाले हैं वही अल्लाह वाले हैं।
दियो की कद घटाने के लिए राते बड़ी करना
बड़े शहरो में रहना है तो बातें बड़ी करना
मोहब्बत में बिछड़ने का हुनर सबको नहीं आता
किसी को छोड़ना हो तो मुलाकाते बड़ी करना।
waseem barelvi shayari poetry in hindi
खुद को मनवाने का मुझको भी हुनर आता है
मैं वो कटरा हु समंदर मेरे घर आता है
फैसला हो ही नहीं पाया बहुत बातो के बाद
कौन खुलता है यंहा कितनी मुलाकातों के बाद
आंशुओ के सामने पत्थर दिली की क्या विशात
अच्छे घर दरक जाते हैं बरसातों के बाद।
तुम अपने बारे में कुछ देर तक सोचना छोडो
तो मैं बताऊ की तुम किस कदर अकेले हो
अजीब लोग हैं इनपर तो रहम आता है
जो कांटे बोकर ज़मी से गुलाब मांगते हैं।
वो मेरे चेहरे तक अपनी नफरते लाया तो था
मैंने उसके हाथ चूमे वेवस कर दिया
पीठ में खंजर जरूर उतारेगा
मगर निगाह मिलेगी तो कैसे मारेगा।
जले तो हाथ मगर हवा के हमले से
किसी चराब की लौ को बचा लिया मैंने।
मेरी तरफ देखना छोडो तो बताऊँ
हर सक्स तुम्हारी तरफ देख रहा है।
वो जो कहते हैं कहि प्यार न होने देंगे
राहत की दिवार न होने देंगे
तुम जिसे चाहे रौंद के आगे निकले
हम तेरी इतनी भी राफ्ता न हुए।
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अकेले हो तो कैसे महफिले की याद आती है
अगर महफ़िल में जाते हैं तो तन्हाई सताती है
रिस्ता बनाकर मोटमैन होना नहीं अच्छा
मोहब्बत आखड़ी दम तक तलूक आज़माती है
गलत फैमि की गुंजाइस नहीं सच्ची मोहब्बत में
किरदार हल्का हो कहानी रूक जाता है।
क्या बताऊ कैसा मैंने खुद को दरबदर किया
उम्र भर किस किस का हिस्से का सफर मैंने किया
तुम तो नफरत भी न कर पायेगा इस सिद्दत के साथ
जिस बला का प्यार मैंने तुझसे बेसबर किया।
यही तय जानकार कूदो वसूलो की लड़ाई में ,
की राते कुछ न बोलेगी चरागों की सफाई में।
बुरी सोचो की कारोबार में इतनी कमी तो है
कमाई होती है बरकत नहीं होती कमाई में।
निभाना खून के रिश्ते कोई आसान नहीं होता
गुज्जर जाती है साड़ी ज़िंदगी खुद से लड़ाई में।
तालुक के वे मौसम तो भुलाये ही नहीं जाते
वफ़ा के रुख निकलते थे जब उसकी वेवफाई में।
किसी को भी किसी फन में मकान ऐसे नहीं मिलता
की साँसे फूल जाती है पहारो की चढ़ाई में।
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले भी नहीं मिलता तो हाथ भी नहीं मिला
घरो पे नाम थे नामो के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला
तमाम रिस्तो को मैं घर पे छोड़ आया था
फिर उसके बाद मुझे कोई अजनवी न मिला
खुदा की इतनी बड़ी कायनात में मैंने
बस एक सक्स को माँगा मुझे वही न मिला
बहुत अजीब हैं ये कुर्वतो की दूरी भी
वो मेरे साथ भी रहा और कभी न मिला।