kumar vishwas poetry status- इस पोस्ट में लोकप्रिय कवि और शायर कुमार विश्वास जी के बेहतरीन सायरी और पोयट्री शेयर किया गया है जो की उनके सबसे -kumar vishwas shayari on life -kumar vishwas poetry on love-kumar vishwas poetry lyrics-kumar vishwas shayari famous-kumar vishwas poetry status
kumar vishwas shayari love
मुझे वो मार कर खुश है की सारा राज़ उसपर है।
यकींनन कल है मेरा आज बेसक आज उसपर है
उसे जिद थी झुकाओ सर तभी दस्तार बक्सु गा
मैं अपना सर बचा लाया महल और ताज उसपर है।
पराये आंशुओ से आँख को नम कर रहा हु मैं
भरोषा आज कल भी खुद कर रहा हु मैं
बड़े मुश्किल से जागी थी ज़माने की निगाहो में
उसी उम्मीद की मरने का मातम कर रहा हु मैं।
ज़बानी में कई गजले अधूरी छूट जाती है
कई खुवाईश तो दिल ही दिल में पूरी छूट जाती है
जुदाई में मैं उससे मुकम्बल बात करता हु
मुलाकातों में सब बाते अधूरी छूट जाती है।
न पाने की ख़ुशी है कुछ न कुछ खोने का गम है
ये दौलत और सोहरत सिर्फ कुछ जख्मो का मरहम है
अज़ब कसम कस है रोज जीने में मरने में
मुकम्बल ज़िंदगी तो है मगर पूरी से कुछ कम है।
kumar vishwas poetry download
हरेक नदियां के होठो पर समंदर का तराना है
यंहा फरहाद के आगे सदा कोई बहाना है
वही बाते पुराणी थी वही किस्सा पुराना है
तुम्हारे मेरे और मेरे बीच में फिर से ज़माना है।
जो मैया तुम समझ ले वो इसारा कर लिया मैंने
भरोषा बस तुम्हारा था तुम्हारा कर लिया मैंने
लहर है लव है हौशला है हिम्मत है दुआएं है
किनारा करने वालो से किनारा कर लिया मैंने।
ज़िंदगी से लड़ा हु तुम्हारे लिए
हांसीए ये पल पड़ा हु तुम्हारे लिए
तुम गयी छोड़कर जिस जगह मोड़ पर
मैं वही पर खड़ा हु तुम्हारे बिना।
kumar vishwas poetry status
पुरानी दोस्ती को इस नई ताकत से मत तोलो
ये सम्बन्धो की तुरपाई है सडयंत्रो से मत खोलो
मेरे लहजे छेनी से गढ़े कुछ देवता जो कल
जो मेरे लफ्जो पे मरते थे वो अब कहते हैं मत बोलो।
तुम्हे जीने में आसानी बहुत है
तुम्हारे खून में पानी बहुत है
कबूतर इसक का उतरे तो कैसे
तुम्हारे छत पे निगरानी बहुत है।
इरादा कर लिया अगर खुद ख़ुशी का
तो खुद की आँख का पानी बहुत है
कुमार विश्वास पोएट्री हिंदी में kumar vishwas shayari famous
कलेजे में जलन आँखों में पानी छोड़ जाती हो
मगर उम्मीद की चुनर ढाणी छोड़ जाती हो
सताने अदा भी तुम्हारे कम नहीं जाना।
घर में कोई अपनी एक निशानी छोड़ जाती हो।
मैं अपनी गीत गजलों से उसे पैगाम करता हु
उसी की दी हुयी दौलत उसी के नाम करता हु
हवा का काम है चलना दिए का काम है जलना
वो अपना काम करती है मैं अपना काम करता हु।
है मुशिकल फिर भी करना चाहता हु
गली में रंग भरना चाहता हु
मेरे हर राह को रोको रकीबो
मैं खुद में से गुजरना चाहता हु।
हादसों की जद पे है तो क्या मुस्कुराना छोड़ दे
दलदलों के खौफ से क्या घर बनाना छोड़ दे
तेरे आँखों में मोहब्बत की चमक आज भी है
माना उसको मेरे प्यार पे शक आज भी उसको है
नाव में बैठ के धोये थे उसने हाथ कभी
बुरे तालाबों की महक उसके हाथ में अभी भी है।
kumar vishwas shayari on life
वक्त के क्रूर छल का भरोषा नहीं
आज जी लो की कल का भरोसा नहीं
दे रहे हैं वो अगले जन्म की खबर
जिनको अगले ही पल का भरोसा नहीं।
महफ़िल मुकाम और रास्ते गम उदाश थी
मुझमे जो जप्त है सभी मौसम उदाश है।
किस किस से पूछियेगा ये बेहद सवाल अब
आपही उदाश हैं या फ़क़त हम उदाश हैं।
सवर जाएंगे हम तुम मिलो तो सही
स्वप्न भर जायेंगे तुम मिलो तो सही
रास्ते में खड़े हैं दो अधूरे स्वपन
एक घर जाएंगे तुम मिलो तो सही।
हमे बेहोश कर साकी बिना कुछ भी हम को
करम भी कुछ नहीं हमको मिला भी कुछ नहीं हमको
मोहब्बत ने दिया है सब मोहब्बत ने लिया है सब
मिला भी कुछ नहीं हमको गिला भी कुछ नहीं हमको
झील पर पानी बरसता है हमारे देश में
खेत पानी को तरसता है हमारे देश में
ज़िंदगी का हाल कसता है hmare desh me
दूध महंगा और खून सस्ता है हमारे देश में।
अब वजीरों ,अफसरों या पागलो को छोड़कर
और कौन हँसता है हमारे देश में
कुमार विश्वास के बेहतरीन शायरी
बंदिशे कब निभी मेरे ज़ज़्बात पर
आपने पर मुझे बेवफा जब कहा
आँख नम हो गयी आप की बातपर
ताल की ताल को जनकती मिले
रूप की भाव की अनुकृति मिले
मैं भी सपनो में आने लगु आपके
पर मुझे आपकी स्वीकृति तो मिले।
खुद को आसान कर रही हो न
हम पे अहसान कर रही हो न
खुवाब सपने सुकून उमीदे
कितना नुक्सान कर रही हो न
हर बार तुम्हारा चेहरा हर बार तुम्हारी आँखे
तुम खुद में कितना उतरे हम खुद में कितना उतरे
तुम खुद में कितना झांके हर बार उसी का चेहरा
दिल को बहलाने का सामन न समझा जाए
मुझको भी अब इतना आसान न समझा जाए
मैं भी बेटो की तरह जीने का हक़ मांगती हु
इसको गद्दारी का ऐलान न समझा जाए
हर जन्म का अपना चाँद है चकोर है अलग
हर जन्म की आंशुओ की अपनी कोर है अलग
यु जन्म जन्म की अपनी मछेरा hai alag
हर जन्म की मछलियां अपना डोर है अलग
डोर ने कहा है मछलियों के पोर पोर से
इस जन्म में बिनधोगी तुम मेरी ओर से।
kumar vishwas shayari motivational
यसस्वी सूर्य अम्बर चढ़ रहा है तुमको सूचित हो
विजय का पथ सुपथ पर रहा है तुमको सूचित हो
अवचित पत्र जो मेरे कभी खोले नहीं तुमने
समूचा विश्व उनको पढ़ रहा है सूचित तुमको हो
किसी के दिल की मायुशि जहां से होक गुजरी है
हमारी साड़ी चालाकी वही पे खो के गुजरी है।
तुम्हारी रात मेरी रात में बस फर्क इतना है
तुम्हारी सो के गुजरी है हमारी रो के गुजरी है।
पुकारे आँख में चढ़कर तो खुद को खून समझता है।
अँधेरा किस को कहते हैं ,ये बस जुगनू समझता है ,
हमे तो चाँद तारों में भी तेरा रूप दीखता है
मोहब्बत में नुमाइस को अदाएं तू समझता है।
की हर ज़ख्म को मुस्कान से सीना नहीं आया ,
अमरता चाहते थे पर जहर पीना नहीं आया ,
तुम्हारी और मेरी दास्ताँ में बस फर्क इतना है ,
मुझे मरना नहीं आता तुम्हे जीना नहीं आता।
जो दो दिल कर देता है वो असली प्यार होता है ,
सनम को ही खुदा समझे वही स्वीकार होता है ,
वतन के वास्ते अपनी जवानी दाव पे रख दे ,
वो भारत माँ का असली लाल वही सरदार होता है।
मैं जब भी तेज़ चलता हु नजारे छूट जाते हैं ,
कोई जब रूप गढ़ता हु ,तो सांचे टूट जाते हैं ,
मैं रोता हु तो आकर लोग कंधा थपथपाते हैं ,
में हँसता हु तो मुझे लोग अक्सर रूठ जाते हैं।
मैं तेरे बिन जो साँसे लू उन्हें भी काम लिखता हु ,
तेरे घर के हर रिश्ते पे आठो धाम लिखता हु ,
की हजारो रात का जाएगा हु सोना चाहता हु अब ,
तुझे मिलके ये पलके भिगोना चाहता हु अब ,
बहुत ढूंढा है तुझको खुद में इतना तक गया हु मैं ,
की मैं खुद सौप कर तुझको खोना चाहता हु मैं।
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