Rahul Jain Shayari-इस पोस्ट में trd के लोकप्रिय शायर राहुल जैन के बेहतरीन शायरी शेयर किया गया है -Rahul Jain New Shayari 2020-Poem by Rahul Jain-Rahul Jain Shayari WhatsApp Status-राहुल जैन की शायरी -Rahul Jain Best Shayari status in hindi-rahul jain sad shayari -rahul jain love poetry -hart touching poetry by rahul jain -राहुल जैन की खुद्दार शायरी।
Rahul Jain New Shayari
अंदाज़ बदल गए थे उसकी बोली में
मेरा प्यार गया किसी और की झोली में ,
फिर भी तेरा इंतज़ार कुछ इस तरह किया
किसी से रंग नहीं लगवाया होली में।
उसकी गलतियों पर भी चुप रहा हु मैं
फिर भी उसकी आँख में चुभ रहा हु मैं
वो आजकल वेवजह फ़ोन करने लगी है
सायद उसे खुवाब में दिख रहा हु मैं।
मैं क्या बताऊँ की वो कैसी लड़की थी
उससे मिला बादल गरजे बिजली कड़की थी
यकींनन उसने सूखे दारत्तों को छुआ था
शायद इसी वजह से जंगल में आग भड़की थी।
उसके सर का पल्लू जब सड़क जाता है ,
बिन मौषम बादल बरश जाता है
क्या बताऊँ तुम्हे अपने हाल का मैं
खुद को आईने में देखता हु तो तरस आता है।
तबाह होना तो मेरे किस्मत में था
इलज़ाम तेरे सर पर वेवजह आ गया।
सायद काफिर हो गया हु
गीता कुरान की बाते सच्ची नहीं लगती
वो जो अब वफ़ा वफ़ा चिल्ला रही है
उसे कहो उसके मुँह से वफ़ा की बातें अच्छी नहीं लगती।
राहुल जैन की शायरी
वो आँखे चूमती थी मुझे सुलाने के लिए
उसने ज़्यादा देर नहीं की इन्हे रुलाने के लिए
कोन सा गुनाह किया मैंने कोई तो बताये
मुझे शराब पिनी पर रही है उसे भुलाने के लिए।
जुदा हो रहे हो भूलो मत तुम्हारा था
तेरी बाहों में हमने भी वक्त गुजारा था कभी
आईने के सामने बैठके इतना रोया हु
आईना भूल गया है ये सक्स मुस्कुराया था कभी।
अब आईने से सामने नहीं जाता हु
उसका नाम सुनके ही सबर जाता हु
वो शायद इसलिए खुश होती है
मुझे नींद में देखकर
ऐसे सोता हु जैसे मर जाता हु
उसकी नज़र कैद है मेरी नज़रो में
उसकी नज़रो से बचने के लिए काजल चाहिए
अब क्या बताउ कैसा महबूबा की तलाश में हु
अब तो इस पागल को भी एक पागल चाहिए।
मैं पागल लगता हु पर लगना नहीं चाहता
किसी गैर के गले मैं लगना नहीं चाहता
वो वेवफा है तब भी उसी से मोहब्बत करूँगा
किसी ऐरी गैरी के मुँह मैं लगना नहीं चाहता।
Rahul Jain Best Shayari status in hindi
धुप के होते हुए बरसात होने लगी
कई दिनों बाद मेरी उससे बात होने लगी
मज़ाक में मैंने उसकी तस्वीर क्या हटाई
दीवारे भी फुट के मेरे साथ रोने लगी।
अगर वो मेरी मोहब्बत थी
तो आज किसी और की नहीं होती
इतना बर्वाद हु मैं की अब
मुझे किसी की ज़रूरत नहीं होती
शायद खुशियों से भी नफरत हो गयी है मुझे
अब किसी और को देखकर मुझे ख़ुशी नहीं होती।
ताउम्र तेरी फरयाद करू ऐसा मैं नहीं मानता
कल जब मुझसे पूछा किसी ने तेरे बारे में
कह दिया इसे मैं नहीं जानता
सिने में दिल है मगर धड़कता ही नहीं
तेरी तस्वीर देख के काम चला रहा हु मैं
खुश हु की तू मुझे गालियां देती है
चल इसी बहाने याद तो आ रहा हु मैं।
जड़ा सी बात थी और वो रूठ गया
छन सी आवाज़ आयी थी
देखा तो दिल टूट गया
वादे तुमने किये थे उन्हें क्यों नहीं निभाया
कैसे बताउ मुझे कितना डराता है मेरा ही साया
जो वादे तुमने किये थे उसे क्यों नहीं निभाया
ये तुम्हारे गर्दन के निचे निशान कैसा है
ये झूठ है की तुझे कोई मुँह नहीं लगाया।
TRD shayari by rahul jain
अगर इसक करने पर आ जाउ
तो तमाम रात कम पड़ेगी
वेबकूफ वादलो से कहो
नीचे आके मेरे आँशु ले जाए
शहर भिगाने के लिए बरसात कम पड़ेगी।
अब फिर से हम कुछ ऐसा करेंगे
इस दफा इसक और जूनून से करेंगे
किसी दिन तो मौत आनी ही है
तेरे हाथो मिली तो सुकून से मरेंगे
शर्त लगी थी खुदा से मेरी
हर बुरा दिन देख सकता हु मैं
आज उसकी शादी है
इससे बुरा और क्या देख सकता हु मैं
रहम खा मुझपे अब और न बदनाम कर
लोग सिर्फ कपडे उतारना जानते हैं
मोहब्बत के नाम पर।
एक दफा जो गलती कर दो
फिर वही गलती मत करना
क्या कहा मोहब्बत फिर ये
गलती से भी मत करना।
अब बागो में तितलियाँ भी नज़र नहीं आ रही है
वो किस हाल में है कहि से खबर नहीं आ रही है ,
तनहा होकर खुद को इसतरह संभाल रहा हु
अभी शाराब निकाल के रखी थी नज़र नहीं आ रही है।
trd Poem by Rahul Jain
क्या बताये हम ज़िंदगी किस तरह से काटते हैं
अकेले पन में उनके खतो को रोज़ छांटते हैं
मैं उनसे जितनी दफा मिलता हु
पहली दफा मिलता हु
इसलिए उसे छूते वक्त मेरे हाथ कांपते हैं।
अपने ही हाथो से अपनी मैयत सजा ली हमने
इसक करने की सज़ा पा ली हमने
माँ बाप सही कहते थे दूर रहो उससे
करीब रहके कोन सी वफ़ा पा ली हमने।
मोहब्बत को बुरा क्यों कहु
जब किस्मत ही मेरी खराब है
वो जा रही है तो जाने दो
मेरे पास मेरी शराब है।
बहुत वादे करते थे वो हमसे
कहो अपने बात पे रहे
और कितना सताएगा इस दिल को
उसे कहो अपनी औकात में रहे।
मोहब्बत के नशे में झूठे खुवाब दिखा गयी
मैं क्या बताओ कैसी थी उसकी अदाएं
कमवक्त पानी में आग लगा गयी।
परिंदे कितना भी ऊँचा उड़े
आसमान के नीचे रहते हैं
जो लोग ज्यादा औकात औकात करते हैं
ऐसे औकात वाले मेरे नीचे रहते हैं।
राहुल जैन shayari on love
मोहब्बत से मोहब्बत करके देख लिया
चलो कुछ और अब किया जाए
क्या कहा मेरे मौत पर अब ख़ुशी होगी तुम्हे
चलो तुम्हे खुश किया जाए।
हम बहुत गिरे लेकिन गिर के संभलने लगे हैं
ज़डा सा मशहूर क्या हुए
मेरे अपने मुझसे जलने लगे हैं
कोई उम्मीद नहीं थी मुझे उनसे इस तरह की
लगता है मेरे आस्तीन में कुछ सांप पलने लगे हैं।
उसे रोकना मत वो इंसान रुकने से भी कहाँ रुकता है ,
खुदा के बाद मेरा माँ बाप के आगे ही सर झुकता है
ऐसी आदत पड़ी है मुझे तनहा रहने की
हवा भी चलती है तो सोर कानो में चुभता है ,
जब चाहा तो चाहा मुझको
जब चाहा तो छोड़ दिया
मैं से मुझको किया मुखातिव
मैखाने से रिस्ता जोड़ दिया
ऐ हुस्न सबा एक बात बता
क्या बचपन से थी आदत
खिलौना लिया और फिर तोड़ दिया।
मोहब्बत को बुरा क्यों कहु
जब किस्मत ही मेरी खराब है
वो जा रही है तो जाने दो
मेरे पास मेरी शराब है
Khuddari Shayari by rahul jain
कोने में सिमटकर सोना चाहता हु
मैं जमाने से छिपकर रोना चाहता हु
तुझे भुलाने की ऐसी ज़िद पकड़ी है
जबदस्ती किसी का होना चाहता हु।
दिनभर हंसकर दुनिया को क्या दिखायेगा
एक खुवाब है जो तुझे रातभर सताएगा।
कभी सोचता था तेरे जुड़ा होने पे क्या होगा
अब सोचता हु तेरे लौट आने पर क्या होगा
तुम मुझसे बिछड़ गयी दसहरे के वाद
अब मेरा दिवाली पर क्या होगा।
क्या सचमुछ छोड़ गयी हो मुझे
बस इतना बता दो
अगर ऐसा है तो कोई आकर मेरा
गला दबा दो।
तेरा मेरी सोच से झगड़ा हुआ है
मेरी सोच ने उसे अभी तक पकड़ा हुआ है
मैं भगवान् को पूजता हु अल्लाह को भी मानता हु
फिर भी लोग कहते हैं लड़का बिगड़ा हुआ है।
जो बांकी थी इज्जत मोहब्बत के लिए
वो बची थोड़े है
है देखो मैं हंस तो रहा हु
ख़ुशी थोड़ी है।
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