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Nidhi Narwal poetry

टॉप २५+ Nidhi Narwal poetry in hindi | निधि नरवाल शायरी।

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Nidhi Narwal Top Shayari

वो मिलता है तो हँस देती हु ,
चलते चलते हाथ थामकर बेपरवाह सब कहता हु ,
सोहबत में उसकी जब चलती है हवाओ
मैं हवाओं से माध्यम माध्यम।

बस इतनी सी बात है की
जब होते हो तुम साथ मेरे
खुश तब रहतें हैं गम मेरे
तुम शामिल रहते हो मेरे हर बात में
ऐसे नहीं है सब ख़ास मेरे

जुस्तजू हो प्यार हो स्कूल की दिवार हो
मैं खड़ी हु उस तरफ वो छुपा इसपर हो
नादानियाँ हो बेधड़क वो तितलियाँ हजार हो
एक झलक मिले महज उसी का इंतज़ार हो
पर चाहते में गर्द है ज़िंदगी भी सर्द है
वो दिन थे दिल में प्यार था
अब दिलो में दर्द है।

अँधेरा वेवजह ही बदनाम है
मुझे रौशनी ज्यादा मनहूस लगती है
अँधेरा निंद मुकम्बल करता है
रौशनी कसकर आँखों में चुभती है ,

न दिन में अब वो बात रही
और हसींन ये रात नहीं
सफर भी तनहा सा है अब
हाथो में तेरा हाथ नहीं
ये छोटी छोटी बातें हैं
कोई छोटी मोती बात नहीं
जो याद दिलाती रहती है की तुम
अब मेरे साथ नहीं।

वो आतें हैं जैसे की नूर आता है
उनको अपना कहके गुरुर आता है
उनकी नज़रो में देखा तो पता चला
की नज़रो से कितना शुरुर आता है।
मैं कितना भी रोकू कितना भी टोकु
फिर भी उनका ख़याल ज़रूर आता है ,
अच्छे भी हैं वो प्यारे भी
सुन्दर भी हैं मोहब्बत हो जाती है यार ,
मेरा कसूर आता है।

रात के दामन में सितारे बहुत हैं
आँखों के जचनेवाले नजारे बहुत हैं
कितना हँसते हैं खिलखिलाते हैं कुछ चेहरे
वो अपनी ज़िंदगी में हारे बहुत हैं
हर किसी को नहीं है इंतज़ार सुबह का
यंहा अंधेरों के दुलारे बहुत हैं
खुदा भी साथ दे तो किस बेचारे को दे आखिर
इस दुनिया में देखो बेचारे बहुत हैं

Nidhi Narwal Love Poetry

बख्से अगर मुक्त में मुझे खुदा से
हसरत ख़ास उसी की करनी है ,
मैं क्या करू इन दीवाने का
बत्तमी जिया बस बरदास उसी की करनी है।

ये कोई हैरानी की बात नहीं
की तुम्हारे दिए ज़ख्म
तुमको ज़ख्म नहीं लगा करते
ज़ाहिर है यार गुलाब के कांटे
गुलाब को नहीं चुभा करते

चाहे हालत कितने ही बुरे क्यों न हो
मुझे मोहब्बत है तुमसे ये भूलना मत
ये तोफे मुझे देने नहीं आते
वो इसलिए की लेने ही नहीं आते
खुद की पसंद से तो बस गुलाब दे सकती हु
कुछ भी पूछ लो जबाब दे सकती हु।
तुम्हारे सिवा किसी और पर भी नज़रे उठेंगे नहीं
और चलो उठ भी गए यकींन मानो टिकेंगे नहीं

घर से निकल कर हम अक्सर खो जाया करते हैं ,
अनजान राहो पर अक्सर अनजान के बातों को
अक्सर दिल से लगाया करते हैं आँशु जाया करते हैं ,
जब हम निकलते हैं हम अपनी मंजिल को तलाशने
घर काफी देर से वापस आया करते हैं ,
जब हम भूल जाते हैं खुलकर खुद हंसना
तब हम औरों को हंसना सिखाया करते हैं ,

ये झुमका उसकी पसंद का है
ये मुस्कराहट उसे पसंद है
लोग पूछते हैं सबब मेरी अदाओ का
मैं कहती हु उसे पसंद है।

अब उससे बात नहीं करनी
पर अब बात उसी की करनी है
दिन दे दिया ज़िंदगी तुझे अपना
मगर रात उसी की करनी है

चलते चलते राहों में
हाथ इसक का थाम लेना
पीना पहले आँखों से
जो न चढ़े तो जाम लेना

नज़र कितनो से मिली है उसकी
नज़र का हिसाब रखना चाहती हु ,
नज़र से मारे गए हैं आसिक
नज़र को तेज़ाब कहना चाहती हु।

Best Nidhi Narwal poetry Shayari

दुपट्टा एक तरफ ही डाला है उसने कहा था
उसने कहा था सूट सादा ही पहन लो
बेसक से तुम्हारा सूरत ही उजाला है।
तुम्हारे होठो के पास जो तिल काला है
बताया था उसने उसे पसंद है।

मोहब्बत के मारे हैं हम
अब बस चाँद सहारे हैं हम
इस दुनिया से तो जीते हैं
एक बन्दे से हारे हैं हम
छोटी छोटी बातों पर
वो कहता था की प्यारे हैं हम
नहीं बचा कुछ भी प्यारा अब
उजड़े हुए नज़ारे हैं हम

ये ज़ख्म देके मुस्कुराने वाले लोग
ये मुस्कुरा के ज़ख्म देने वाले लोग
दिल को ख़ाक में देते हैं मिला
ये दिल लगाने वाले लोग
ये दिल जलाने वाले लोग।
ये सभी ये सारे लोग
बड़े प्यार से करते है तबाह
ये हसींन प्यारे लोग

मैं क्या कहु ये कैसे होती है
जो हर कहि मौजूद है
वो यादे धूल के जैसे होती है ,
जो किसी डायरी में दफन है
यादें उस फूल के जैसी होती है ,
जो बरसात को चीर के आती है
यादें वो कड़कती बिजली है
जो पानी के बिन भी जिन्दा है
कोई याद एक ऐसी मछली है

निधि नरवाल Best Shayari

कभी कभी लगता है
मैं कुछ कर नहीं सकती
मानो साँसे भी खुद से
मैं भर नहीं सकती
पुकार लगाते रहती हु
केवल अपने अंत को
पर वो सामने भी हो खड़ा
तो मैं मर नहीं सकती हु

मैं फिर भी उसका ख़याल करा
रोज उससे सवाल करा
की अब कैसे हो
वो बड़े दिन तो खामोश रहा
फिर वो मुझे मेरे महबूब की यादों
में लिपट कर रोता देख
मुस्कुराकर मुझसे कहने लगा
की तुम और तुम्हारा महबूब
कम्बखत एक जैसे हैं
तुम भी तो मेरा ख़याल एकदिन
मेरे वजूद को ख़त्म करने के लिए रखते हो

हर रात कुछ खयालो में नींद बर्वाद होती है ,
जिसकी ज़िंदगी में नहीं होती मोहब्बत
उसकी ज़िंदगी भला कैसे आबाद होती है
जिन आँखों में खुवाब नहीं रहते
उन आँखों में उम्मीद कैसे ईजाद होती है ,
आखिर क्यों नहीं बने पिंजड़े नफरत के लिए
आखिर क्यों इस दुनिया में
नफरत इतनी आज़ाद होती है

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