Poem on Bhagat Singh-इस पोस्ट में शहीद वीर भगत सिंह के बारे में बहुत सूंदर कविता शेयर किया है -Shahid Bhagat Singh Poem in Hindi -Poem on Veer Bhagat Singh in Hindi-शहीद भगत सिंह पर कविता-Shaheed Bhagat Singh Poetry in Hindi-Famous Hindi Poem For Bhagat Singh-Heart Touching Poem For Bhagat Singh in Hindi-शहीद भगत सिंह की देशभक्ति कविता।
शहीद भगत सिंह भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन न्योछावर कर दिया भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1907 को भारत के पंजाब राज्य के लाय्पुर जिले के बंगा गाव में एक सिख परिवार में हुआ था इनके पिता के नाम सरदार किसन सिंह और माता का नाम विद्यावती था। इनके पिताजी और इनके चाचा अजित सिंह भी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिनसे भगत सिंह को भी स्वतंत्रता सेनानी बनने की प्रेरणा मिली।
Shahid Bhagat Singh Poem in Hindi
भारत माँ का लाल है
सबसे प्यारा भगत सिंह
तेरे चरणों में झुके बार बार
शीश ये हमारा भगत सिंह
वीरता से कैसे लड़ा जाता है
हमे सिखाया है भगत सिंह
हमारे लहू में देशभक्ति बनकर
नस नस में समाये हैं भगत सिंह
भारत माँ का लाल है
सबसे दुलारा भगत सिंह
तेरे चरणों में झुके बार बार
शीश ये हमारा भगत सिंह
युवाओ में जोश बनकर
हर जगह छायें हैं भगत सिंह
जो बहुत ख़ुशनशीब होता है
वही बन पाए भगत सिंह
Poem on Veer Bhagat Singh in Hindi,
सुखदेव भगत सिंह राजगुरु
आज़ादी के दीवाने थे
हंस हंस के झूले फांसी पे
भारत माँ के मस्ताने थे
वह मरे नहीं है ज़िंदा है
wah अमर शहीद कहलायेंगे
वह प्यारे वतन पर निशार हुए
वह वीरो में मर्दाने थे
यह मर्जी उस मालिक की थी
सब उसने खेल दिखाएं हैं
था लिखा उन्हें कुर्वान होना
फांसी के मुक्त बहाने थे
ब्रिटिश ने कहा माफ़ी मांगो
शायद ज़िंदगानी हो जाए
हंस हंस के सबने जबाब दिया
नहीं हशर में दाग लगाने थे
दुःख दर्द से तुमने पाला था
कुछ काम न हम आये तेरे
आज़ाद न माँ कर तुमको चले
मालिक के यायी मनमाने थे
सुखदेव भगत सिंह राजगुरु
आज़ादी के दीवाने थे
हंस हंस के झूले फांसी पर
भारत माँ के मस्ताने थे।
Heart Touching Poem For Bhagat Singh
मोमबत्तियां बुझ गयी
चिराग तले अँधेरा छाया था
फांसी के फंदे पर
तीनो वीरो को जलाया था।
सुखदेव भगत सिंह राजगुरु
मन को कुछ और न भाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था
इन कलाब का नारा लिए
विदा लेने की ठानी थी
लटक गए फांसी पर किन्तु
मुख से उफ़ तक न निकाली थी
देश भक्ति को देख तुम्हारी
सबने अश्रुधार बहाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था।
शहीद भगत सिंह की देशभक्ति कविता
भारत देश का था वो दुलारा
झुके उसके आगे शीश हमारा
हंसकर झूल गया फांसी प
वो है पुरे हिन्दुस्तान का प्यारा
किया काम बेशक हिंसा का तूने
केवल यही है दोष तुम्हारा
देश के लिए हो गए कुर्वान
और बढ़ा दिया गौरव हमारा
तेरी देशभक्ति पर सब है न्योछावर
तेरा साहस है सबसे न्यारा
भारत देश का था वो दुलारा
झुके उसके आगे शीश हमारा।
Best Short Poem on Bhagat Singh in Hindi
वीरो की धरती भारत पर
एक शूर वीर और जन्मा था
इन्कलाब का दीवाना वह
खुद को भगत सिंह बतलाता था
शेरो सी दहाड़ से उनके
अंग्रेजी सल्तनत घबराया था
छोटी उम्र का वह वीर
पुरे हिन्दुस्तान पर छाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
उसने मौत को गले लगाया था
इन्कलाब का बिगुल बजा
उसने अपना फ़र्ज़ निभाया था
शहीद भगत सिंह पर कविता कोश
इन्कलाबी जवान भगत सिंह
भारत का सम्मान भगत सिंह
क्रान्ति की है धार भगत सिंह
ऐसा एक विचार भगत सिंह
सपनो का ईमान भगत सिंह
उमीदो का नाम भगत सिंह
फौलादी अंगार भगत सिंह
दूर दृस्टि का मचान भगत सिंह
सचाई का ब्यान भगत सिंह
ममता की व्यार भगत सिंह
इन्साफ की हुंकार भगत सिंह
आज़ादी का गान भगत सिंह
यादगार बलिदान भगत सिंह
इंकलाबियों की शान भगत सिंह।
Shaheed Bhagat Singh Poetry in Hindi
कभी नहीं संघर्ष से
इतिहास हमारा हारा
शहीद हुए जो भगत सिंह
उनको है नमन हमारा
बिना मतलव के वीरो ने
दुर्बल को नहीं मारा
जो मिट गए देश के लिए
उनको है नमन हमारा
उनकी राहो पर हम
चलना अवश्य सिखाएंगे
उनकी गाथा को कल
सारे बच्चे जाएंगे
प्यारा देश हमारा भारत
हम सबको है जान से प्यारा
शीद हुए जो भगत सिंह
उनको है नमन हमारा।
Bhagat Singh पर रोंगटे खड़े कर देने वाली
मोमबत्ती बुझ गयी
चिराग तले अँधेरा छाया था
फांसी के फंदे पर जब
तीनो वीरो को लटकाया था
सुखदेव भगत सिंह राजगुरु
मन को कुछ और न आया था
हँसते हँसते देश के खातिर
फांसी को गले लगाया था
इन्कलाब का नारा लिए
विदा लेने की ठानी थी
लटक गए फांसी पर किन्तु
मुँह से उफ़ तक न निकली थी
भगत सिंह पर प्यारी सी कविता
भगत सिंह को देश आज तक न कभी भुला,
जिसने वतन के खातिर क्या क्या नहीं झेला
देश की शान के लिए हुआ था वह कुर्वान
हँसते हँसते दे गया था वह अपनी बलिदान
लाज बचाने मिटटी की वो हर पल रहा सचेत
इनकलाब वो दे गया कभी न छोड़ा खेत
देश की पावन धरती ने जब भी था उसे पुकारा
कफन सर पे बाँध के सर्वश्व उसने वारा
मरते मरते उसने ज़िंदा दिल वो सबको बना गया
देश के लिए वो हमको मर मिटना सीखा गया
सदमा आज भी हिन्द के आँचल में सिसकता है हर साल
सहीद होकर नई पीढ़ी को वो दे गया अपनी चाल
उसका जन्म दिन है खुद में एक अतुल्य पर्व
हिन्दुस्तान सदैव करेगा भगत सिंह तुझपर गर्व।
Famous Hindi Poem For Bhagat Singh
क्या लेखनी आज भगत की
जो आज़ादी का परवाना था
देश भक्त था क्षवीर भगत सिंह
इन्कलाब का दीवाना था। .
महीना सितंबर तारीख 28 1907 रे
सरदार किशन के घर में जन्मा
वीर भगत सिंह लाल रे
विद्यावती माता ने भाईयो
सिंह समान पाला था
दादा -बाबा भाई -बहन
सबकी आँख का तारा था
1919 में इनके आगे
जलियावाला बाग़ हुआ
डायर ने गोली चलवाई
वहाँ खुनी फाग हुआ
चिंगारी थी जो इन्कलाब की
अब बन गयी थी ज्वाला
कूद पड़ा था आज़ादी रंग में
वीर भगत सिंह मतवाला
जेल गए थे भगत सिंह
गोरो ने अद्भुद चाल रचा
पहली बार जेल में जाकर
इन्होने भूख हरताल रखी
वो दीवाना टिका रहा
उस इंकलाब के नारे पर
नहीं भगत का शीश झुका
गोरो के खूब झुकाने पे
रोम रोम में इंकलाब था
ताब मुहो में रखता था
बीच कोट में जज के आगे
दीवानो जैसा हँसता था
राजगुरु सुखदेव भगत की
जब फांसी का ऐलान हुआ
स्वीकार सज़ा हंसकर करली
नहीं मन में कोई मलाल हुआ
माँ से मिलकर बोले भगत
मत नैनंन नीर बहाइये तू
बूढ़े बाबू जी को जाकर
धीर बधाई ये तू
हे माता मैं दूध का
सारा कर्ज चुकाऊंगा
जो दीवाने हैं आज़ादी के
सब में मैं नजर तुझे आऊंगा
23 मार्च का जब दिन आया
सारा भूमण्डल डोल गया
जेल का हर कोना कोना
रंग दे बसंती बोल रहा
उन तीनो की फांसी को
नियत भी भांप गयी होगी
चूमा होगा फांसी की रस्सी को
तब वह भी काँप गयी होगी
बोला जल्लाद उन तीनो से
अंतिम इच्छा पूरी करने को
वह तीनो बोले हाथ खोल दो
इच्छा ज़ाहिर की गले मिलने को
धन्य धन्य है वह माता
जिसने इसको जन्म दिया
धन्य धन्य है ऐसे पिता
जिसने बलिदानी सूत प्राप्त किया।