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Ali zaryoun poetry in hindi

Ali zaryoun poetry in hindi अली ज़रयूं के रोमांटिक,शायरी,गजल।

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अली जरयूं का जन्म 1983 में पकिस्तान के फैसलाबाद में हुआ था वे आधुनिक कवि के रूप में जाने जाते हैं वे बहुत ही मशहूर कवि गीतकार और लेखक भी हैं जरयूं अपने कविताओं से दुनिया में अपनी एक अलग ही पहचान बनायीं है कई भाषाओ में कविताये रचना की है वे एक रोमांटिक कवि भी हैं।

जागना और जगा के सो जाना
रात को दिन बनाके सो जाना
text करना तमाम रात उसको
फिर अंगुलियों को दबा के सो जाना
आज फिर देर से घर आया हु
आज फिर मुँह बना के सो जाना।

सब कर लेना लम्हे जाया मत करना
गलत जगह पे ज़ज़्बे जाया मत करना
इसक तो नियत की सच्चाई देखता है
सिर न झुके तो सजदे मत करना

कोई शहर था जिसकी एक गली
मेरी हर आहट पहचानती थी
मेरे नाम का का एक दरवाजा था
एक खिड़की मुझको जानती थी।

ख्याल में भी उसे बेरीदा नहीं किया है
ये ज़ुल्म मुझसे नहीं हो सका नहीं किया है
मैं एक सक्स को ईमान जानता हु तो क्या
खुदा के नाम पर लोगो ने क्या नहीं किया है।
इसीलिए तो मैं रोया नहीं बिछड़ते समय
तुझे रवाना किया है जुदा नहीं किया है।

Ali zaryoun poetry lyrics

प्यार करने की सालक कैसे तुम्हे
तुम तो अभी ठीक से नफरत भी नहीं करते हो
मशवरे मुक्त दिया करते थे दीवाने को
क्या हुआ अब तो नसीहत भी नहीं करते हो।

ए मुमकिन है मैं पलट आऊं
उसकी आवाज़ में बुलाओ मुझे
दोस्तों को न आग लग जाए
अभी dp में मत लगाओ मुझे

जिस घडी ये आदमी खुद में खुदा हो जायेगा
कहने वाले ने कहा था फना हो जायेगा
ये मोहब्बत है ये मर जाने से भी जाती नहीं
तू कोई कैदी नहीं जो रिहा हो जायेगा।

वही लोग हैं और वही शाम है
सखी ये कहानी में इल्जाम है
सखी तू मेरे बिस्तरे का नहीं
sakhi तू मेरे दिल का आराम है
सखी क्यों करू काम के नाम पर
सखी मोहब्बत क्या कोई काम है
sakhi तेरी चादर सलामत रहे
सखी तेरा मजनू बदनाम है

जिसने भी हंस के बात की
तूने गले लगा लिया
भीड़ में क्या पता चले
मेरा रक़ीब कोन है
तू भी मरिजे हिज़्र था
तुझको भी तो सिफा हुयी
अपने मरीज़ को बता तेरा
ताबीब कोन है।
सहर में यानि दहर में
अपना कोई नहीं तेरा
तुझसे हसीं कौन है
तुझसे गरीब कोन है।
उसको अजब की है तलाश
मुझमे अजीब कुछ नहीं

अली ज़रयूं रोमांटिक पोएट्री

इस तरह से न आजमाओ मुझे
उसकी तस्वीर मत दिखाओ मुझे
है मुमकिन मैं पलट आऊं
उसकी आवाज़ में बुलाओ मुझे
मैंने बोला था याद मत आना
झूठ बोला था याद मत आओ मुझे
तू जो हर रोज नए हुस्न पे मर जाता है
तू बताएगा मुझे इसक है क्या

एक खत मुझे लिखना है
दिल्ली में बसे दिल को
एक दिन मुझे चखना है
खाजा तेरी नगरी का
खुसरो तेरी चौखट से
एक शब्द मुझे पिनी है

तेरी खुशियों का सबब यार कोई और है न
दोस्ती मुझसे है और प्यार कोई और है न
तू मेरे आस्क न देख बखत इतना बता
जो तेरे हुस्न पे मरते हैं बहुत से होंगे
पर तेरे दिल के तलब्दार कोई और है न

तेरी आस्तीन जो साप है
वो तुझे डसेगा कभी नहीं
तुझे इल्म है की झूठ है
मगर कहेगा कभी नहीं
मेरे साथ जो भी हुआ हुआ
मुझे फिक्र है की फकत ही
तू रह तो लेगा कहि पे भी
पर बसेगा नहीं कहि पे भी

ali zaryoun shayari in hindi on love

मन जिसका मोला होता है
वो बिलकुल मेरे जैसा होता है
तुम मुझको अपना कहते हो
कह लेने से क्या होता है
अच्छी लड़की ज़िद नहीं करती
देखो इसक बुरा होता है
आँखे हंसकर पूछ रहि है
नीड आने से क्या होता है।
वक्त का ज़ख्म का पूछ रहे हो
थोड़ा सा गहरा होता है
मरने में कोई बहस न करना
मर जाना अच्छा होता है।

सोचता हु न जाने कहां से आ गए हैं
हमारे बिच ज़माने कहाँ से आ गए
मैं सहर वाला सही तू तो गांव जादी है।
तुझे बहाने बनाने कहाँ से आ गयी

मुनाफीको को मेरा नाम ज़हर लगता था
वो जान बुझके गुस्सा उन्हें दिलाती थी
उससे किसी से मोहब्बत थी और वो मैं नहीं था
ये बात मुझसे ज्यादा उन्हें रुलाती थी

तुम जो कहते हो सुनूंगा जो पुकारोगे मुझे
जनता हु की तुम ही घेर के मारो गे मुझे
मैं भी एक सेक्स पे शर्त लगा बैठा था
तुम भी एक रोज़ इसी खेल में हारोगे मुझे।
ईद के दिन की तरह तुमने मुझे जाया किया
मैं समझता था मोहब्बत से गुजारोगे मुझे

अली ज़रयूं new poetry

तो किसपे गुस्सा करू कौन सी दुआ करू मैं
अगर वो मिलने नहीं आ रहा तो क्या करू मैं
जिसे मैं रोज़ दुआओ में माँगा करता था
अब उसके हक़ में भला कैसे बदुआ करू मैं

मरने लगता हु एक आवाज़ बचा लेती है
ज़िंदगी आखरी लम्हो में मना लेती है
मैं तो बस शेर में आवाज़ लगाता हु उसे
कलकत्ते शहर मुझे सर पे उठा लेती है

तनहा तो सही लड़ तो रही है वो अकेली
बस थक के गिर गयी है अभी हारी तो नहीं है

किसी बहाने से उसकी
नाराजगी तो ख़त्म करनी थी
उसके पसंदीदा सायर के
शेर उसे भुलायेगा
आप से बढ़कर कोन
समझसकता रंग और खुशबु को
आपसे कोई रहस्य नहीं है
आप उसके हम साये हैं।

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