zakir khan shayari on love-इस पोस्ट में ज़ाकिर खान के बेहतरीन सायरी पोएट्री प्रस्तुत है –zakir khan shayari poetry in hindi for girl friend-ज़ाकिर खान के बेस्ट सायरी -zakir khan shayari for boyfriend-BEST SHAYARI BY ZAKIR KHAN in Hindi-zakir khan shayari-ज़ाकिर खान के शायरी -Zakir Khan Shayaris collection of 2023-
ज़ाकिर खान ज़बरदस्त कॉमेडियन स्क्रिप्ट राइटर और poet और सायर भी हैं बहुत अच्छी पोएट्री करने के वाद भी वे अपने आप को poet नहीं मानते हैं। youtube पर ज़ाकिर खान के सात मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर है वे एक स्टेज परफॉर्म अलग अलग शहरो में जाकर के करते हैं।
ज़ाकिर खान के शायरी
ज़ाकिर खान का जन्म 20 अगस्त 1987 को मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में ज़ाकिर खान का जन्म हुआ उनके पिता का नाम इस्माइल खान और माताजी का नाम कुलसुम खान है उनके पिता एक म्यूजिक टीचर हैं। और उनके दादा जी भी एक म्यूजिशियन थे जाकिर को भी संगीत से बहुत लगाव है। उनका सबसे फेब्रेट इंट्रूमेंट सितार है। और सितार बजाने में उन्होंने डिप्लोमा भी किया। उन्होंने अपनी शिक्षा सेंटपॉल हायर सेकेंडरी स्कूल से कम्प्लीट किया। पढाई में उन्हें ज्यादा मजा नहीं आता था लेकिन वे सिंगर और कॉमेडी में बहुत अच्छे थे। ज़ाकिर खान इंडिया के बेस्ट stend up कॉमेडियन हैं। उन्हें सबसे ज़्यादा लोकप्रियता तब मिली जब उन्होंने यूट्यूब के कॉमेडी शो AIB के on air with AIB में काम किया। उनके AMAZON द्वारा करवा गया शो हक़ से सिंगल में उनकी पर्फोर्मस की जमकर तारीफ़ किया गया।
zakir khan sayari poetry in hindi for girl friend
तेरी वेवफाई की अंगारो में लिपटी हुयी है रूह मेरी ,
मैं इस तरह आग न होता जो तुम हो जाती मेरी।
हरेक सांस पे दहक जाता था सोला दिल का
सायद हवा में फैली है खुशबु तेरी।
अपने आप के भी पीछे खड़ा हु मैं
ज़िंदगी कितना धीरे चला आ रहा है
मुझे जगाने जो और भी हसीं होके आते थे
उन खवाबो को सच समझकर सोया मैंने।
ज़ाकिर खान के शायरी
हालत की बंजर ज़मी फार कर निकला हु
बेफिकर रहिये मैं सोहरत के धुप में नही जलूँगा
क्या वो आग नहीं रही न सोलो से दहकता हु
रंग भी सब जैसा है सब जैसा ही तो महकता हु।
वो रात भी मेहनत करके गला घोट घोट के जीना
खाने का वक्त है ही नहीं और काम बहुत ज्यादा
इज्जत कम और पैसे उससे भी कम
माँ बाप का साथ नहीं किसी के कहे पर भरोसा हो जाय
ऐसी कोई बात नहीं।
मैं सुन्य पे सवार हु
बेअदब से मैं खुमार हु
मुस्किलो से मैं क्या डरूं
मैं खुद कहर हजार हु
मै सुन्य पे सवार हु।
zakir khan shayari (2023)
ए बड़े शहर तेरा बहुत कर्जा है मुझपर
सब चुकाऊंगा बारी बारी से।
देखि है न उम्मीदी अपमान देखा है
न चाहते हुए भी माँ बाप का झुकता
आत्म सम्मान देखा है सपनो को टूटते
देखा है अपनों को छूटते देखा है
akir khan shayari for girlfriend (2023)
मैं जानना चाहता हु की
क्या रतिफ के साथ चलते हुए शाम को यु ही
बेखयाली में उसके साथ भी हाथ
टकरा जाता है क्या तुम्हारा।
मेरे दो चार खुवाब है जिन्हे मैं
आसमा से दूर चाहता हु
ज़िंदगी चाहे गुमनाम रहे
लेकिन मौत मैं मशहूर चाहता हु।
zakir khan shayari
मेरा सब बुरा भी कहना अच्छा भी सब बताना।
जाउ जब इस दुनिया से मेरा दास्तान सुनाना
बता देना सबको की मैं मतलबी बहुत बड़ा था
बड़ी मुकाम पे मैं तनहा खड़ा था।
ये खत है उस गुलदान के नाम
जिसका फूल कभी हमारा था
ये अब तुम उसके मुख्तार हो तो सुन लो
उसे अच्छा नहीं लगता।
ये जो कभी वो जुल्फ बिखेड़े तो
बिखड़े मत समझना।
यदि माथे पे आ जाय तो बेफिक्री
मत समझना दरअसल उसे ऐसी पसंद है
उसके आज़ादी उसकी खुली जुल्फों में बंद है
zakir khan shayari
क्या अपनी छोटी अंगुली से उसका
हाथ भी थाम लिया करती हो।
क्या वैसे ही जैसा मेरा थामा करती थी।
यु तो भले हैं लोग हमे पहले भी बहुत से
पर तुम जितना उनमे से कोई याद नहीं आता।
जानते हो अगर वो हजार वार जुल्फे
न सवारे तो उसका गुजारा नहीं होता
ऐसे दिल बहुत साफ़ है उनका
इन हरकतों पे गुजारा नहीं होता
ज़ाकिर खान के चुनिंदा सायरी हिंदी में
खुदा के वास्ते उसे कभी टूटने न देना
उसके आज़ादी से उसे कभी रोक न देना
क्योकि अब मैं नहीं तुम उसके दिलदार
हो तो समझलो वो अच्छा है।
हर एक सांस से दहक जाता है सोला दिल का
सायद ये हवा में फैली है खुशबु तेरी।
zakir khan shayari
खुदा के वास्ते उसे कभी टोकना मत
उसकी आज़ादी से उसे कभी रोक न देना
क्यकि अब मैं नहीं तुम उसके दिलदार हो तो सुन लो
उसे अच्छा नहीं लगता।
क्या वो तितली की तरह आयी और
ज़िंदगी को बाग़ कर गयी
मेरे जितने भी नापाक थे इरादे
उन्हें भी पाक कर गयी।
अपने आप के भी पीछे खड़ा हु
ये ज़िंदगी कितने धीरे चला हु में
मुझे जगाने जो और भी हसींन होक आते थे
उन खवाबो को सच समझके सोया रहा मैंने।
zakir khan shayari
बस का इन्तज़ार करते हुए मेट्रो में खड़े खड़े
रिक्शा में बैठे हुए गहरे शून्य में क्या देखते हो
गुम सा चेहरा लिए हुए क्या सोचते रहते हो
best of zakir khan sayari poetry
मैं जाउ इस दुनिया से तोँ दास्तान सुनाना
ये भी बताना की समंदर जितने से पहले
कैसे मैं छोटी छोटी नदियों से हारा था
लो खरीद लो अब इससे कीमती
कुछ भी नहीं है मेरे पास
की जिसमे रखा था गुलाब
हमने वो किताब बेच दिया है।
बड़े महंगे थे पर अब सस्ते में नहीं आएंगे
आज के बाद तेरे रस्ते में नहीं आएंगे।
zakir khan shayari zindgi
लहू के थे जो रिश्ते उन्हें छोड़के आ गए
सुकु आँखों के सामने था मुँह मोड़ के आ गए
और खजाने लूट रहे थे माँ बाप की छाँव में
हम कौड़ियों के खातिर घर छोड़ के आये।
यु तो भूले हैं हमे लोग कई हमे पहले भी बहुत से
पर तुम जितना उनमे से कभी कोई याद नहीं या।
हज़ारो खुआइसे ऐसी की कर खुवाईसे में दम निकले
बहुत निकल गए अरमान फिर भी कम निकले।
भूख देखी है देखि है तिरस्कार करती आँखे
कदमो से चल चल के रास्तो को नाम बदलते देखा है।
BEST SHAYARI BY ZAKIR KHAN in Hindi
अपने टूटे हुए स्वाभिमान के साथ
खुद को काम बदलते देखा है।
देखि है अपनी न उम्मीदी
न चाहते हुए भी माँ बाप का
झुकता आत्म सम्मान देखा है
सपनो तो टूटते देखा है
अपनों को छूटते देखा है।
मझे गुड नाइट कहने के वाद भी
ऑनलाइन रहना तेरा ,
समझा लेता हु खुद को मगर
इधर चुभता बहुत है।
तेरी फुर्सत के इंतज़ार में रहता हु
मैं प्रदेश में रहकर भी प्यार में रहता है ,
और बस एक तेरी मर्जी से बदलेगी किस्मत मेरी
वर्णा मैं जीतकर भी हार में रहता हु।
BEST SHAYARI BY ZAKIR KHAN in Hindi
वेबजह वेबफ़ाओ को याद किया है
गलत लोगो पर बहुत वक़्त बर्वाद किया है।
वो रिस्ता मेरे लिए दो का पहारा है
उसके लिए सेवेनटीन का टेबल हो गया
उससे याद दिलाना पड़ता मुझसे भुला नहीं जाता।
तेरा बेवफा होना मेरे रब को भा गया
तूने मुझे छोड़ा देख मैं कहाँ आ गया।
मुझे मेरी हथेलियां तुम्हारी हाथो में चाहिए।
सिने से लगाना है तुमको बाहों में भर लेना है
माथा चुम लेना है तुम्हारा और फ़ोन पर तो
बिलकुल बात नहीं करनी है