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madan mohan danish shayari

madan mohan danish shayari poetry poem gajal musayra

madan mohan danish shayariइस पोस्ट में मशहूर शायर मदन मोहन दानिश साहब के बेहतरीन गजल सायरी मुसायरा शेयर किया गया है मुझे उम्मीद है की ये आपको जरूर पसंद आएगा इसी तरह का पोस्ट हम अपने साइट पर शेयर करते हैं। best of madan mohan danish shayari madan madan danish poetry in hindi

madan mohan danish poetry in hindi

और आखिर तुझे क्या ज़िंदगानी चाहिए
आरजू कल आग की थी आज पानी चाहिए
ये कहां की रीत है जागे कोई सोये कोई
रात सबकी है तो सबको नींद आनी चाहिए।

हम अपने दुःख को कहने लग गए हैं
मगर इसमें ज़माने लग गए हैं
किसी की तरबियत की है करिश्मा
ये आँशु मुस्कुराने लग गए हैं।
जिन्हे हम मंजिलो तक लेके आये
वही रस्ता बताने लग गए हैं।

थे भटकने के बहुत अंदेशे
इसक ने हमको बचाये रखा

इतने अच्छे बनोगे तो मर जाओगे
थोड़े दुश्मन भी तैयार करते रहो

दर्द सीने पे छुपाये रखा
हमने माहौल बनाये रखा
मौत आयी थी कई दिन पहले
उसको बातो में लगाए रखा

इल्म जब होगा किधर जाना है
है तब तक तो गुज्जर जाना है।

जो बात खास है वो खुद को भी बताऊँ नहीं
मैं लुफ्त लेता रहु और भुलाउं नहीं।

रात क्या होती है हमसे पूछिए
आप तो सोये सबेरा हो गया।

madan mohan danish shayari on love

क्यों ज़रूरी है हम किसी के पीछे
पीछे चलें जब सफर अपना है
तो अपनी रबानी चाहिए।

जब अपनी बेकली से बेखुदी से कुछ नहीं होता ,
पुकारे क्यों किसी को हम किसी से कुछ नहीं होता।
कोई जब शहर से जाए रौनक रूठ जाती है
किसी के शहर में मौजूदगी से कुछ नहीं होता।
चमक यु ही नहीं पैदा हुयी है मेरी जान तुझमे
न कहना फिर कभी तू बेरुखी से कुछ नहीं होता।

जो बात खाश है वो खुद को भी बताऊँ नहीं
मैं लुफ्त लेता रहु और मुस्कुराऊँ नहीं
उसे सताने का बस यही तरीका है
उसके दिल में रहु समझ में आऊं नहीं।

डूबने की ज़िद में कस्ती आ गयी
बस यही मजबूर दरिया हो गया
आज खुद को बेचने निकले थे हम
आज ही बाजार मंदा हो गया।

अगर लव पर किसी के सिर्फ एक मुस्कान होती है,
फिर अनजान सूरत भी कहाँ अंजान होती है।
मजा तब है जब तेरा इसक ही पहचान हो तेरी
जैसे कोई खुशबु फूल की पहचान होती है।

madan mohan danish shayari for girlfriend

अगर कुछ दाव पे रख दे सफर आसान होगा क्या
अगर दाव पे रखे वो ईमान होगा क्या
कमी कोई भी हो वो ज़िंदगी में रंग भर्ती है
अगर सबकुछ मिल जाए तो फिर अरमान होगा क्या।

धीरे धीरे ठहर ठहर के आता है
कोई हुनर जीतेजी मरकर आता है
गैर जरुरी कम कर दो सिंगार अगर
फिर देखो क्या रूप निखड़ कर आता है

और भी हैं जो खाब सजाते रहते हैं
लोग हमी को क्यों समझाते रहते हैं
दर्द सीने में छुपाये रखा
हमने माहौल बनाये रखा
मौत आयी थी कई दिन पहले
उसको बातो में लगाए रखा।
वो काम दुस्वार था फिर भी दानिश
खुद को आसान बनाये रखा।

आने वाले के लिए महवे दुआ रहता हु मैं
मैं हु दरवाज़ा मोहब्बत का खुला रहता हु मैं
ज़िंदगी बेसबब कभी भी कुछ भी होता है क्या
चेहरा है तभी तो आईना रहता हु मैं।

होंगे तुम फिर कहि आवाद क्या ,
हिल गयी तन्हाई की बुनयाद क्या
अच्छी रौनक है तुम्हारी बजु में
आ गए सब करके शहर को बर्वाद क्या।

मदन मोहन दानिश shayari for broken hart

कमरे के जिस कोने में गुलदान रहा
वो कोना ही जाने क्यों बीरान रहा
बिच भवर से कस्ती कैसे बच निकली
बहुत दिनों तक दरिया भी हैरान रहा।
दानिश जब तक इसक का पानी नहीं लगा
दिल का पौधा बेरौनक बेजान रहा।

जब अहसास कोई चेहरा हो जाता है
मंजर मंजर आईना हो जाता है
माली चाहे कितना भी चैकन्ना हो
फूल और तितली में रिस्ता हो जाता है।
अब लगता है ठीक कहा था ग़ालिब ने
बढ़ते बढ़ते दर्द दवा हो जाता है।

बस एक चराग के बुझने से बुझ गए खुद भी
तुम आँधियो को परेशान क्यों नहीं करते
सजाये फिरते हो महफ़िल हमेशा चाँद के साथ
कभी सितारों को मेहमान क्यों नहीं कहते।
नफरतो से लड़ो प्यार करते रहो
अपने होने का इजहार करते रहो।
ज़िंदगी से मोहब्बत करो टूटकर
मौत का काम दुस्वार करते रहो।

अजहर इक़बाल शायरी गजल।

वसीम बरेलवी शायरी

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