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Adi Shankaracharya Quotes in Hindi

Adi Shankaracharya Quotes in Hindi शंकराचार्य के अनमोल वचन।

Adi Shankaracharya Quotes in Hindi-इस पोस्ट में आदि गुरु शंकराचार्य जी के अनमोल विचार को शेयर किया गया हमे उम्मीद है की ये आपको जरूर पसंद आएगा -शंकराचार्य के शैक्षिक विचार-Adi Shankaracharya Quotes in Hindi for student -Adi Shankaracharya Quotes in Hindi on life शंकराचार्य के अनमोल वचन।

आदि गुरु शंकराचार्य जी का जन्म 788 ईस्वी में केरल के एक कालधि नामक छोटे से गाओ में हुआ था कहानी के अनुसार खा जाता है की उनके माता पिता के कठोर तपस्या के वाद शंकराचार्य जी का जन्म हुआ कहा है की वे शिव के स्वं अवतार थे वे बचपन से ही सौभाग्य गंभीर और शांत बालक थे उनके अस्मरण शक्ति बहुत अच्छी थी वे जो चीज एक बार पढ़ते थे उसे अपने जीवन में कभी नहीं भूलते थे वे लगभग 6 वेदो और अनेको वेदांतो में महारथ हांसिल कर चुके थे वे अपने द्वारा कई ग्रन्थ लिखे अपने द्वारा लिखे गए उपदेशो को लोगो तक पहुंचाया उन्होंने अपने ज्ञान को भारत के चारो कोनो में फैलाया आज हम उनके द्वारा कहे गए विचारो को जानेंगे।

Adi Shankaracharya Quotes In Hindi

पुरुषार्थ हिन् व्यक्ति जीते जी मरा हुआ है।

सत्य की राह पे चले यही सबके लिए कल्याण की मार्ग है।

मनुष्य जन्म और पुरुषत्व को भी पाकर जो अपने कल्याण के प्रति लापरवाह है उससे बढ़कर आत्म मुग्ध कोन हो सकता है।

जिसे सब तरह से संतोष है वही धनवान है।

जहां त्याग और मुक्ति की लालसा कमजोर हो वहां शांति और अन्य गुण रेगिस्तान में मृर्ग तृस्ना की तरह एक मात्र रूप है।

सबसे उत्तम तीर्थ अपना मन है जो विशेष रूप से शुद्ध किया हुआ हो।

आत्मा के अलावा कोण अज्ञानता जूनून और स्वार्थी कारवाई के बंधनो को दूर करने में सक्षम है।

जब महान वास्तविकता का पता नहीं चलता है तो शास्त्रों का अध्यन निष्फल होता है जब महान वास्तविकता ज्ञान हो जाती है तो सास्त्रो का अध्ययन निष्फल हो जाता है।

जब हमारी मिथ्या धारण ठीक हो जाती है तो दुःख भी समाप्त हो जाता है।

अपने इन्द्रियों और अपने मन को बस में करो और अपने ह्रदय में प्रभु को देखो।

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जैसे भट्ठी में शुद्ध किया गया सोना अपने अशुद्धियों को खो देता है और अपने वास्तविकता स्वरुप को प्राप्त कर लेता है मन ध्यान के माध्यम से भरम मोह और पवित्रता के अशुद्धियों से छुटकारा पाता है और वास्तविकता को प्राप्त कर लेता हैं।

जोर से बोलना ,शब्दों की प्रचुरता और सास्त्रो को समझाने में निपुणता रखना केवल विद्वानों के आनंद के लिए वे मुक्ति की ओर नहीं ले जाते हैं।

अज्ञानता के कारण ही आत्म ज्ञान सिमित परतीत होता है जब यह अज्ञानता मिट जाती है तब आत्मा वास्तविक स्वरुप का ज्ञान हो जाता है जैसे बादलो के हट जाने पर सूर्य दिखाई देता है।

बास्तविक आनंद उन्ही को मिलता है जो आनंद की तलाश नहीं कर रहे होते हैं

तत्व वास्तु की प्राप्ति का मुख्य उपाय ध्यान है।

प्रत्येक बस्तु अपने स्वभाव की ओर बढ़ने लगती है मैं हमेशा सुख की कामना करता हु जो की मेरा वास्तविक स्वरुप है मेरा स्वभाव मेरे लिए कभी बोझ नहीं है ख़ुशी मेरे लिए कभी बोझ नहीं होती जबकि दुःख है।

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जो यथार्थ मुक्ति का कारन है वो यथार्थ ज्ञान है पारम्परिक कर्मो का आचरण से ही मनुष्य को ज्ञान प्राप्त होता है।

न यंहा कुछ है न वहां कुछ है जहां जहां जाता हु न वहां कुछ है विचार करके देखता हु तो न जगत ही कुछ है अपनी आत्मा के ज्ञान प्रे कुछ भी नहीं है।

अपनी -अपनी करती ही मृत्यु है।

ज्ञात -अज्ञात पाप ही अन्तः कारन की मलिनता है। जब तक अन्तः कारन मल रहित पाप -रहित नहीं होगा तब तक वास्तविकता दृष्टि -दिव्य दृष्टि का उदय नहीं होता।

ज्ञान की अग्नि सुलगते ही कर्म भस्म हो जाते हैं।

धन जन यौवन का गर्व मत करो। क्षण मात्रा में काल सबकुछ नष्ट कर देता है।

कर्म चित की शुद्धि के लिए ही है ,तत्व दृस्टि के लिए नहीं। बस्तु सिद्धि तो विचार से ही होती है करोड़ो कर्मो से कुछ भी नहीं हो सकता।

आत्म -स्वरुप में लीन चित बारह विषयो की चिंता नहीं करता है ,जैसे दूध से निकला घी ,फिर दूध भाव को प्राप्त नहीं होता।

आदि गुरु शंकराचार्य के अनमोल विचार

तीर्थ करने के लिए किसी अस्थान पे जाने की जरुरत नहीं है सबसे अच्छा और बड़ा तीर्थ आपका मन है जिसे विशेष रूप से सुद्ध किया गया है।

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