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poem on shree Ram

Best poem on shree Ram | प्रभु श्रीराम पर कविता।

poem on shree Ram-इस पोस्ट में प्रभु श्रीराम जी पर बेहतरीन कवितायें शेयर किया गया है ,यदि आप प्रभु श्रीराम के भक्त के है तो आपको ये कविता जरूर पसंद आएगा ,ये कविता आपको कैसा लगा कमेंट करके ज़रूर बताएं और अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें ये कविता –शुभम श्याम जी के द्वारा प्रस्तुत है-poem on shree Ram in hindi .

poetry on shree Ram

ना नर में कोई राम बचा
न नारी में कोई सीता है ,

ना धरा बचाने के खातिर ,
विष कोई शंकर पिता है ,

ना श्री कृष्ण सा धर्म -अधर्म का
किसी में ज्ञान बचा है ,

न हरिशचंद सा सत्य किसी के,
अंदर रचा बसा है ,

ना गौतम बुद्ध सा धैर्य बचा ,
ना गुरु नानक सा परम त्याग

बस नाच रही है नर के भीतर
प्रतिशोध की कुटिल आग।

फिर बोलो की उस स्वर्णिम युग का ,
क्या अंश बांकी तुममे ,

की किसकी धुनि में रम कर
तूम फुले नहीं समाते हो ,
तुम स्वं को श्रेष्ठ बताते हो ?

तुम भीष्म पितामह की भाँति
अपने ही ज़िद पर अरे रहे ,

तुम अपने धर्म को श्रेष्ठ बता
दुर्योधन के संग खड़े रहे।

तुम सकुनी के षड्यंत्रों से
घृणित रहे तुम दंग रहे ,

तुम कर्ण के जैसे होकर भी
दुर्योधन दल संग रहे ,

एक दुर्योधन फिर सत्ता
के लिए युद्ध में जाता है ,

कुछ धर्मांधो के अंदर
फिर थोड़ा धर्म जगाता है ,

फिर धर्म की चिलम में नफरत की
चिंगारी से आग लगाकर !

फिर चरस का धुआँ फुक फुक
मतवाले होते जातें हैं
तुम स्वं को श्रेष्ठ बताते हो !

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