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Mirza Ghalib Shayari In Hindi

Mirza Ghalib Shayari In Hindi मिर्ज़ा ग़ालिब के बेहतरीन शायरी।

Mirza Ghalib Shayari In Hindi- इस पोस्ट के अंदर मशहूर उर्दू सायर मिर्ज़ा ग़ालिब के बेहतरीन सायरी को प्रस्तुत किया गया है Mirza Ghalib Best Shayari Mirza Ghalib Shayari In English-मिर्जा गालिब दर्द शायरी इन हिंदी- Ghalib Shayari In Hindi 2 Lines

Mirza Ghalib Shayari On Love

हजारो खुवाईश ऐसी की हर खुवाईश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।

इसरत-ए -कतरा है दरिया में फणा हो जाना
दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना।

ये न थी हमारी किस्मत की बिशाल-ए यार होता
अगर और जीते रहते यही इन्तजार होता।

न था कुछ तो खुदा था कुछ न होता तो खुदा होता
डुबाया मुझको होने ने न होता मैं तो क्या होता।

आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
कोन जीता है तेरी जुल्फ को सर होने तक।

रंज से खुंगर हुआ इनसा तो मीट जाता है रंज
मुश्किलें मुझ पर पड़ी इतनी की आशाये हो गयी।

बस क दुश्वार है हर काम का आशा होना
आदमी को भी मयस्सर नहीं इनसा होना।

हमको मालुम है जन्नत की हकीकत लेकिन
दिल को खुश रखने के ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है।

थी खबर गर्म की ग़ालिब के उड़ेंगे पुर्जे
देखने हम भी गए पर तमाशा न हुआ।

मौत का एक दिन मुयय्यन है
नीद क्यों रात भर नहीं आती।

जब नाराजगी किसी खास से होती है
तो इंसान चिल्लाता नहीं रो देता है।

मिर्जा गालिब दर्द शायरी इन हिंदी

इस सादगी पर कोन न मर जाए ऐ खुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।

कितना खौफ होता है शाम के उन अँधेरे में
पूछ उन परिंदो से जिनके घर नहीं होते।

इसक ने ग़ालिब निक्क्मा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के।

इसक ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया
बरना हम भी आदमी थे काम के।

मेहरवा होक बुलालो मुझे चाहे किसी वक्त
मैं गया वक्त नहीं हु की फिर भी आ न सकू।

उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पे रौनक
वो समझते हैं की बीमार का हाल अच्छा है।

या रब वो न समझे हैं न समझेंगे मेरी बात
दे और दिल उनको जो न दे मुझको जबा और।

हर एक बात पे कहते हो तुम की तुम क्या है
तुम्ही कहो की ये अंदाज गुफ्तगू क्या है।

ये इसक नहीं आसान बस इतना समझ लीजिये

हाथो की लकीरो पर मत जा ए -ग़ालिब
किस्मत उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते।

ग़ालिब ने ये कहकर तोड़दी माला की
गिनकर क्यों नाम लू उनका जो बेहिसाब देता। है

Mirza Ghalib Shayari In English

इसक पर जोड़ नहीं है वो आतिश ग़ालिब
की लगाए ना लगे बुझाये न बुझे।

छोड़ दो उससे वफ़ा की उम्मीद ए ग़ालिब
जो रुला सकता है वो भुला भी सकता है.

क्या सुनाऊ मैं अपनी वफ़ा की कहानी ग़ालिब
एक समंदर का रखवाला था साडी उम्र प्यासा रहा।

जब लगा तीर तो इतना न दर्द हुआ
दर्द महसूस तो तब हुआ जब कमान
अपनों के हाथो में देखि।

तेरे हुस्न के परदे की जरुरत नहीं ग़ालिब
कोन होश में रहता है तुझे देखने के बाद।

इस दुनिया में कोई किसी का नहीं होता
लाख निभाओ रिस्ता लेकिन कोई अपना नहीं होता।

जब की तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
फिर ये हंगामा ये खुदा क्या है।

पूछते हैं वो की ग़ालिब कौन है
कोई बतलाओ की हम बतलाये क्या।

रहने दो मुझे इन अंधेरो में ए ग़ालिब
कमवखत रौशनी में अपनों के असली
चेहरे याद आ जाते हैं।

बात कोई और होती तो कह भी देते
कमवक्त मोहब्बत है बताई भी नहीं जाती।

खाब मुठी में लिए कब्र की सोचता हु
इंसान जब मरते हैं तो उनका गुरुर कहाँ जाता है।

उम्र भर हम बस यही गलती करते रहे
धुल चेहरे पर थी हम आईना साफ़ करते रहे।

Ghalib Romantic Shayari

खुवाईसो का काफिला भी अजीब है
अक्सर वही से गुजरता है जहां रास्ता नहीं होता।

उन्हें देख चेहरे पर आती है रौनक
वो समझते हैं बीमार का हाल अच्छा है।

ये इसक नहीं आसान बस इतना समझ लीजिये
एक आग का दरिया है और डूब के जाना है।

मैं नादाँन था जो वफ़ा की तलाश करता रहा
ये न सोचा की एक दिन साँस भी वेवफा हो जाएगी।

ज़रा संभल के करो गैरो से हमारी बुराई
तुम जिसको जाकर बताते हो वो हमको
आकर बताते हैं।

मोहब्बत की भी अपनी बचकानी ज़िद होती है
चुप कराने के लिए भी वही चाहिए जो रुलाकर गया है।

वो जा रही थी मैं खामोश खड़ा देखता रहा
क्योकि सुना था की पीछे से आवाज़ नहीं देते।

ज़िंदगी में खुश रहना चाहते हो तो सबसे पहले
उन्हें भूल जाओ जो तुम्हे भूल गए हैं।

सिकवे इतने है की एक किताब लिख दू ,
सबर इस कदर है की एक लब्ज भी न कहु।

मेरी तारीफ़ के लिए बस इतना काफी है ,
बुरा हु और अच्छा खासा हु।

तुम समंदर की बात करते हो
लोग आँखों में डूब जाते हैं।

मुकम्बल इसक की तलबगार नहीं ये आँखें
थोड़ा ही सही रोज दीदार की चाहत है।

अब नज़दीक से ही दिखेगी खामिया
दूर से तो बेहद हसीं लगते हो।

तू समझती है अगर फिजूल मुझे
जा हिम्मत कर और भूल मुझे।

कई रातो तो इतना हतास होता है दिल ,
आँखों से आँशु निकलते नहीं बस अंदर रोता है दिल।

हम तुम्हे मुफ्त में जो मिले हैं
कदर न करना हक़ है तुम्हारा।

छूना नहीं तुझे जी भर के देखने की चाह है ,
तेरे साथ सोने की नहीं तेरे साथ जागने की चाह है।

ग़ालिब की शायरी हिंदी में 2 line

कई साल बाद वो दर्द महसूस हुआ
जिससे भूलने में मैंने कई साल बर्वाद कर दिया।

चलो आज फिर से मर के देखते हैं ,
कई बार जिन्दा बचे हैं।
आज ये गुनाह फिर से करके देखते हैं।

मोहब्बत हराम नहीं है साहब
आज कल की मोहब्बत हरामी हो गयी है।

अगर तुम जान जाओ तकलीफ मेरी
तो तुझे मेरी हंसी पे तरस आएगी।

पहले चुभा बहुत अब आदत सी है ,
ये दर्द पहले था अब इबादत सी है।

रोना उनके लिए जो तुमपे निसार हो
उनके लिए क्या रोना जिनके आशिक़ हजार हो।

ये मोहब्बत भीख है सायद ,
बड़ी जिल्ल्त से मिलती है।

मोहब्बत की कीमत अदा की है मैंने ,
खुद को को दिया मैंने उनके पाने की ज़िद में।

बिछड़ के उससे परेशान बहुत हु मैं
सुना है वो भी बड़ी उलझनों में रहते हैं।

जब खोने की नौबत आती है
तभी पाने की कीमत समझ आती है।

मैं सायर हूँ तो तरस न खा मुझपर
इस ज़माने में मैं इतना सीधा भी नहीं।

mirza ghalib poetry in hindi

दिल तोड़ जाने वाले ज़रा सुन
मुझे तुमसे मोहब्बत आज भी है।

हम तो समझे तमाशा होगा ,
उन्होंने चुप रहकर बाज़ी पलट दी।

मुझे याद न आ रहे हैं
मुझे भूल जाने वाले।

मोहब्बत के काफिले को कुछ देर तो रोक लो ,
आतें हैं हम भी पैरों से कांटे निकाल कर।

जिनमे चमकते थे वफ़ा की मोती
यकींन जानो वो आँखे बे वफ़ा निकली।

मुद्द्तो बाद फिर किसी को याद आया हु ,
सायद उठाया जाएगा आज फिर फायदा मेरा।

जिस नगर भी जाउ किस्से है कमवक्त दिल के ,
कोई ले के रो रहा है कोई दे के रो रहा है।

वफ़ा के इस सहर में हम जैसे सौदागर न मिलेगा।
हम तो आँशु भी खरीद लेते हैं अपनी मुस्कराहट देकर।

मैं खुवाहिसो में अटका रहा ,
और ज़िंदगी हमे जीकर चली गयी।

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