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50+ Attaullah Khan Shayari in Hindi अत्ताउल्लाह खान के दर्द भरी शायरी।

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Attaullah Khan Sad Shayari

इसक को दर्दे सर कहने वालो सुनो
कुछ भी हो हमने ये दर्दे सर ले लिया
वो मेरे निगाहो से बचकर कहाँ जाएंगे
अब तो उनके मोहल्ले में घर ले लिया।

हम तो तिनके चुन रहे थे आसियाने के लिए
आपसे किसने कहा बिजली गिराने के लिए
हाथ थक जाएंगे क्यों पीस रहे हो मेहदी
खून हाजिर है हथेली पर लगाने के लिए।

मुद्दत हुयी थी होठ हमारे सिले हुए
कल साम जो वो मिले तो उन्ही से गीले हुए।
वो कह रहा है दर्द जो बख्सा है ज़ीस्त है
जो जख्म दे चुके हैं वफ़ा के सिले हुए।

दिल उसको दिया है तो वही इसमें रहेगा
हमलोग आमाँमत में कयामत नहीं करते।

आप बुलाये हम न आये ऐसी तो हालात नहीं
एक ज़दा सा दिल टूटा है और तो कोई बात नहीं।

पहला जैसा अब जुनूने मोहब्बत अब नहीं रहा
कुछ कुछ संभल गए है तुम्हारी दुआ से हम।

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देखना भी तो उन्हें दूर से देखा करना
सिवाए इसक नहीं हुस्न भी कुरुफात है।

उनके मखमूल निगाहो के करिश्मे तौबा
पाकवाजो को भी मैखार बना देते हैं

वो रूठा रहे मुझसे ये मंजूर है लेकिन
यारों उसे समझाओ वो मेरा शहर नहीं छोड़े।

तुझसे बिछड़कर हम मुकद्दर पे होने
फिर जो दर मिला हम उसी दर पे होंगे।

वो तो मासूक हैं हर बात पर रूठेंगे जिगर
तुम न घबरा के कहि उसे खफा हो जाना।

ज़माना कुछ भी कहे उसका एहतेराम न कर
जिसे ज़मीर न माने उसे सलाम न कर।

शराब पीके अगर बहकना ही है तो न पि
हलाल चीज़ को इस तरह से हराम न कर।

निगाहें मिलकर किया दिल को ज़ख़्मी
अदाएं दिखाकर सितम ढा रहे हो
बफाओ का क्या खूब बदला दिया है
तड़पता हुआ छोडकर जा रहे हो।

होता ही नहीं वफ़ा तो दफा ही किया करो
तुम भी तो कोई रस्मे मोहब्बत अदा करो।

अत्ताउल्लाह खान के दर्द भरी शायरी

सर्मिन्दा हु की मौत भी आती नहीं मुझे
तुम मेरे लिए अब तो कोई बदुआ करो।

अपना भरम न रहता कहते अगर जुबा से
खुशियां तुझे मुबारक हम चल दिए जहां से।

हर वक्त का हास् ए तुझे बर्वाद न करदे
तन्हाई ले लम्हो में कभी रो भी लिया कर।

कच्चे धागे से बंधे आएंगे सरकार मेरी
तुम पुकारो तो सही प्यार से एकबार मुझे।

कोई दोस्त है न रकीब है
तेरा शहर कितना अजीब है
यंहा किसका चेहरा पढ़ा करू
यहाँ कौन मेरे करीब है।

हम दिल से तेरे गम के परसदार न होते
इस सांन से रुस्वा सरे बाजार न होते
जीना भी है इल्जाम तो मरना भी है इल्जाम
हम कास इस मुल्क के फनकार न होते।

वफ़ा की आखड़ी हद से गुजर लिया जाए
सितमगाढ़ो के मोहल्ले में घर लिया जाए
जिधर निगाहें उठे आपही के जलवे हो
जिए तो ऐसे जिए वर्णा मर लिया जाय।

किसी से बोलना और बेखना अच्छा नहीं लगता
तुझे देखा है जब से दूसरा अच्छा नहीं लगता।

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